Nawada News: लग्जरी वाहनों के दौर में ई-रिक्शा की बल्ले-बल्ले, पंचायत चुनाव में जमकर हो रहा इस्तेमाल

लग्जरी वाहनों के दौर में ई-रिक्शा की बल्ले-बल्ले है यह सुनकर आपको अटपटा लग सकता है। लेकिन यह बिल्कुल सच है। अभी लग्जरी वाहनों का दौर है। आधुनिकता की होड़ में लोग लग्जरी वाहनों की शौक रखते हैं। लग्जरी वाहनों से घूमना सिंबल स्टेटस है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Fri, 19 Nov 2021 08:30 PM (IST) Updated:Sat, 20 Nov 2021 09:06 AM (IST)
Nawada News: लग्जरी वाहनों के दौर में ई-रिक्शा की बल्ले-बल्ले, पंचायत चुनाव में जमकर हो रहा इस्तेमाल
ई-रिक्‍शा पर चस्‍पा प्रत्‍याशी का पर्चा। जागरण।

संवाद सहयोगी, नवादा। लग्जरी वाहनों के दौर में ई-रिक्शा की बल्ले-बल्ले है, यह सुनकर आपको अटपटा लग सकता है। लेकिन यह बिल्कुल सच है। अभी लग्जरी वाहनों का दौर है। आधुनिकता की होड़ में लोग लग्जरी वाहनों की शौक रखते हैं। लग्जरी वाहनों से घूमना सिंबल स्टेटस है। लेकिन पंचायत चुनाव में ई-रिक्शा की पूछ बढ़ी हुई है। प्रत्याशी अपने चुनाव प्रचार के लिए ई-रिक्शा का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, प्रत्याशी खुद महंगे वाहनों से घूम रहे हैं, लेकिन प्रचार के लिए इसका प्रयोग जमकर कर रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह कम खर्च में उपलब्धता बताई जा रही है।

गौरतलब है कि स्कार्पियो, बोलेरो समेत अन्य महंगे वाहनों का दैनिक किराया तीन हजार रुपये है। लेकिन ई-रिक्शा महज छह सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से सर्वसुलभ है। ऐसे में प्रत्याशियों का पैसा भी बच रहा है। प्रत्याशियों का यह भी मानना है कि लग्जरी वाहनों की अपेक्षा ई-रिक्शा संकीर्ण गलियों में भी आसानी से घूमता है। इससे प्रचार करने में काफी मदद मिलती है। अपनी बात हर वोटरों तक पहुंचाने में सहुलियत होती है। अब गांव-गांव तक यह रिक्शा आसानी से मिल जाता है। गाडि़यों की अब भी चलती है। बड़े वाहनों लेकर प्रत्‍याशी बाहुबल का परिचय देने के लिए घूमते हैं।

नाबालिग भी चला रहे ई-रिक्शा

जिले में नाबालिग भी ई-रिक्शा ड्राइव कर रहे हैं, जो कि परिवहन नियमों का सरासर उल्लंघन है। इस प्रकार के ²श्य आसानी से देखे जा सकते हैं। लेकिन नाबालिग चालकों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। बगैर ड्राइविंग लाइसेंस के नाबालिग ई-रिक्शा को सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। लेकिन विभाग उनपर कार्रवाई नहीं कर रहा है। परिवहन विभाग ने नकेल कसने के लिए ई-रिक्‍शा परिचालन के संबंध में गाइडलाइन जारी किया था, लेकिन उसका सख्‍ती से अनुपालन नहीं हो पाया। इसकी बनावट भी इस कदर कमजोर है कि जरा सा झटका मिलते ही पार्ट-पुर्जे बिखर जाते हैं।

chat bot
आपका साथी