Nawada News: दोगुना कीमत पर उर्वरक खरीदने को विवश किसान, अब तक नहीं आई कोई रेक
वारिसलीगंज प्रखंड के किसानों को धान रोपनी के समय से ही उर्वरक खरीदने में नाकों चना चबाना पड़ रहा है। रबी फसल की बोआई के समय भी बुरा वक्त खत्म नहीं हुआ है। बिस्कोमान में खाद उपलब्ध नहीं है।
संवाद सूत्र, वारिसलीगंज (नवादा)। वारिसलीगंज प्रखंड के किसानों को धान रोपनी के समय से ही उर्वरक खरीदने में नाकों चना चबाना पड़ रहा है। रबी फसल की बोआई के समय भी बुरा वक्त खत्म नहीं हुआ है। बिस्कोमान में खाद उपलब्ध नहीं है। किसान को बाजार के दुकानदारों से डेढ़ से दो गुना कीमत देकर डीएपी और यूरिया खरीदना पड़ रहा है। क्षेत्र के किसान पिछले दो-तीन वर्षों से खाद की किल्लत का सामना कर रहे हैं। खासकर धान रोपनी और रबी की बोआई के समय किसानों को यूरिया और डीएपी आदि उर्वरक खरीदने में काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
धान रोपनी के समय बिस्कोमान में उर्वरक उपलब्ध होने के बाद किसान दो से तीन दिनों तक देर रात से ही लाइन में लगकर उर्वरक ले पाते थे, जबकि रबी फसल की बुआई के पहले से ही यूरिया और डीएपी आदि उर्वरक का रैक नहीं आने के कारण बोआई की शुरुआत से ही सरकार द्वारा संचालित बिस्कोमान में यूरिया और डीएपी उपलब्ध नहीं है। जिस कारण किसानों को डेढ़ से लगभग दो गुना तक उर्वरक की कीमत चुकानी पड़ रही है। बिस्कोमान में यूरिया डीएपी, एपीएस (फॉस्फेट) आदि जरूरी उर्वरक जो रबी फसलों की बोआई के समय खेतों में डाली जाती है, बिस्कोमान में उपलब्ध नहीं होने की सूचना दीवाल पर चिपकाई गई है। लिखा गया है यूरिया, डीएपी एवं एपीएस आदि उर्वरक उपलब्ध नहीं है। उपलब्ध होने पर सूचना दी जाएगी। इस संबंध में पूछे जाने पर बिस्कोमान प्रभारी दिलीप कुमार ने बताया कि उर्वरक कब उपलब्ध होगा, इसकी सूचना हमें नहीं है।
डेढ़ से दोगुना वसूली जा रही है उर्वरक की कीमत
रबी फसल की बोआई के समय जड़ों में डालने के लिए सबसे अधिक जरूरत डीएपी और एनपीके, यूरिया फास्फेट आदि की होती है। जिसकी कीमत सरकार द्वारा तय की गई है। लेकिन बाजार में डेढ़ से लगभग दो गुना तक बेची जा रही है। नीम कोटेड यूरिया की सरकारी दर 265 रुपये निर्धारित है। बाजार में 380 से 400 रुपये में उपलब्ध। डीएपी सरकारी दर 1200 रुपये बाजार में 1800-2000 में उपलब्ध है। इसी प्रकार एनपीके सरकारी दर 1165 रुपये निर्धारित है, परंतु बाजार कीमत 1600 से 1800 रुपये है। फास्फेट आदि जरूरी उर्वरक डेढ़ से दोगुना कीमत पर किसान बाजार से खरीदने को मजबूर हैं। बता दें कि डेढ़ से दोगुना कीमत चुकाने के बाद भी किसानों को असली डीएपी और एनपीके मिल रहा है, इसकी कोई गारंटी नहीं।
अधिक कीमत व नकली उर्वरक बेचने वालों पर होगी कार्रवाई : डीएओ
जिला कृषि पदाधिकारी लक्ष्मण प्रसाद ने बताया कि अगले कुछ दिनों तक बिस्कोमान में उर्वरक उपलब्ध होने की सूचना नहीं है। किसान डीएपी की बजाय खेतों में फास्फेट और यूरिया का उपयोग करें, जो फसलों के लिए ज्यादा लाभकारी होगा। अधिक कीमत वसूलने व नकली डीएपी बनाने-बेचने वालों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उसके लिए प्रखंड से लेकर जिला तक टीम का गठन किया जा चुका है।
कहते हैं किसान
ठेरा ग्रामीण अधिवक्ता विनोद कुमार सिंह, मय के किसान सुनील कुमार आदि ने बताया कि जबतक अधिकारियों के द्वारा गठित टीम काम करना शुरू करेगा, तबतक अधिक कीमत देकर खरीदारी कर नकली खाद किसान अपने खेतों में डाल चुके होंगे।