Navratri 2021: सासाराम के इस जगह पर गिरा था सती का नेत्र, यहीं परशुराम ने की थी उपासना

महर्षि विश्वामित्र ने इस पीठ का नाम तारा रखा था। दरअसल यहीं पर परशुराम ने मां तारा की उपासना की थी। मां तारा इस शक्तिपीठ में बालिका के रूप में प्रकट हुई थीं और यहीं पर चंड का वध कर चंडी कहलाई थी।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 04:47 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 09:46 AM (IST)
Navratri 2021: सासाराम के इस जगह पर गिरा था सती का नेत्र, यहीं परशुराम ने की थी उपासना
सासाराम के मां ताराचंडी मंदिर का है बड़ा महत्‍व। जागरण।

जागरण संवाददाता, सासाराम। 51 शक्तिपीठों में से एक सासाराम से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर कैमूर पहाड़ी की गुफा में स्थित मां ताराचंडी धाम में आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं यहां पूर्ण होती है। मान्यता है कि सती के तीन नेत्रों में से श्रीविष्णु के चक्र से खंडित होकर दायां नेत्र यहीं पर गिरा था, जो तारा शक्तिपीठ के नाम से विख्यात हुआ।

मंदिर का इतिहास

मंदिर की प्राचीनता के बारे में कहा जाता है कि महर्षि विश्वामित्र ने इस पीठ का नाम तारा रखा था। दरअसल यहीं पर परशुराम ने मां तारा की उपासना की थी। मां तारा इस शक्तिपीठ में बालिका के रूप में प्रकट हुई थीं और यहीं पर चंड का वध कर चंडी कहलाई थी। यहां के लोगों के बीच यह भी मान्यता है कि सती के तीन नेत्रों में से श्रीविष्णु के चक्र से खंडित होकर दायां नेत्र यहीं पर गिरा था, जो तारा शक्तिपीठ के नाम से विख्यात हुआ। शहरवासी इन्हें नगर माता मान श्रावण मास में चुनरी-कढैया चढ़ाते हैं। ताराचंडी धाममंदिर में स्थित एक शिलालेख से यह स्पष्ट होता है कि 11वीं सदी में भी यह देश के ख्यात शक्ति स्थलों में से एक था। मंदिर के गर्भगृह के समीप संवत 1229 का खरवार वंशीय राजा प्रताप धवल देव द्वारा ब्राह्मी लिपि में लिखवाया गया शिलालेख भी है, जो मंदिर की ख्याति व प्राचीनता को दर्शाता है। इस धाम पर वर्ष भर में तीन बार मेला लगता है। जहां हजारों श्रद्धालु मां का दर्शन पूजन कर मन्नते मांगते हैं। यहां मन्नतें पूरा होने पर अखंड दीप जलाया जाता है।

ऐसे पहुंचे ताराचंडी धाम

यह मंदिर वाराणसी से कोलकता तक जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो पर बिहार के रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम से पांच किलोमीटर पूरब स्थित है। सासाराम पूर्व मध्य रेलवे के पंडित दीनदयाल उपाध्याय- गया रेलखंड पर स्थित प्रमुख रेलवे स्टेशन है तथा यहां कई महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव भी होता है। रेलवे स्टेशन से ताराचंडी धाम तक जाने के लिए ऑटो- कार आदि की सुविधा उपलब्ध है। वहीं पटना, गया व वाराणसी एयरपोर्ट से भी सासाराम रेल व सड़क यातायात से पहुंचा जा सकता है। पटना से 160 किलोमीटर दक्षिण, गया से 150 किलोमीटर पश्चिम व वाराणसी एयरपोर्ट से 155 किलोमीटर पूरब सासाराम स्थित है।

कहते हैं सचिव

मां ताराचंडी कमेटी के सचिव महेंद्र साहु ने कहा कि मां ताराचंडी धाम अत्यंत ही प्राचीन है। पुराणों में मां तारा का वर्णन है। यह 52 शक्तिपीठों में से एक माना गया है। हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन पूजन को आते हैं। 1229 में राजा प्रताप धवल देव द्वारा लिखवाया गया शिलालेख इसकी प्राचीनता को दर्शाता है। मंदिर की बाहरी व्यवस्था कमेटी द्वारा की जाती है। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार भी चैत्र नवरात्र में मंदिर के पट को बंद कर दिया गया है। भक्तों के दर्शन -पूजन पर रोक लगा दी गई है। अखंड दीप संकल्पित अखंड दीप जमा करा लिया जा रहा है, जिसे दीप स्थल पर प्रज्ज्वलित करा दिया जाएगा ।वहीं ऑनलाइन पूजा व दर्शन की व्यवस्था यहां नहीं की गई है।

सती का गिरा था दांया नेत्र

मुख्‍य पुजारी प्रदीप गिरी ने कहा कि मां ताराचंडी की पूजा यहां उनके पूर्वजों द्वारा की जाती है।मां ताराचंडी का वर्णन हमारे धार्मिक ग्रंथों में है। यहां सती का दांया नेत्र गिरा था। जिसके कारण यह धाम ताराचंडी के नाम से विख्यात हुआ। फिलहाल यहां कोरोना महामारी के कारण श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन पर रोक लगा दी गई है। ऑनलाइन दर्शन- पूजन की भी व्यवस्था नहीं है।

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