Bihar: बहुत कुछ कह रहा अंतिम नरसंहार स्थल मियांपुर, देवमतिया और सीता से जानें क्‍यों सिहर उठती हैं महिलाएं

बिहार के लिए 16 जून एक काला अध्‍याय के रूप में माना जाता है। बात बहुत बड़ी है। ये बड़ी घटना मियांपुर नाम के एक छोटे से गांव में हुई थी जिससे पूरा प्रदेश हिल गया था। मियांपुर- अरवल गया और औरंगाबाद जिले के बॉर्डर पर है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 02:33 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 02:33 PM (IST)
Bihar: बहुत कुछ कह रहा अंतिम नरसंहार स्थल मियांपुर, देवमतिया और सीता से जानें क्‍यों सिहर उठती हैं महिलाएं
मियांपुर नरसंहार में मारे गए थे 34 लोग। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

[उपेंद्र कश्यप] दाउदनगर, (औरंगाबाद)। बिहार के लिए 16 जून एक काला अध्‍याय के रूप में माना जाता है। बात बहुत बड़ी है। ये बड़ी घटना मियांपुर नाम के एक छोटे से गांव में हुई थी, जिससे पूरा प्रदेश हिल गया था। मियांपुर- अरवल, गया और औरंगाबाद जिले के बॉर्डर पर है। यहां 21 साल पहले जो हुआ, उसे याद कर आज भी लोगाें की रूह सिहर उठती है। 

मियांपुर, गोह प्रखंड अंतर्गत उपहरा थाना का एक छोटा सा गांव है। 16 जून 2000 को यह गांव वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में तब आया था, जब यहां 34 निर्दोषों की हत्या बैलेंस ऑफ़ टेरर की धारणा को मानते हुए किया गया था। नरसंहार कोइ भी हो, किसी गिरोह द्वारा अंजाम दिया गया हो, सबसे अधिक पीड़ित महिलायें होती हैं। यहां 20 स्त्री और 14 पुरुष मारे गए थे। स्त्री रोज मरती हैं, तिल -तिल कर मरती है। चाहे उसका कोई भी पुरुष रिश्तेदार मारा गया हो। उसकी पीड़ा आजीवन होती है।

(नरसंहार पीडि़ता देवमतिया कुंवर की ताजा तस्‍वीर)

नरसहार का प्रतिनिधि चेहरा है देवमतिया कुंवर। उसकी बायीं गाल में नरसंहार के वक्त गोली लगी थी। पहली गोली से वह बच गई थी। दूसरी गोली ने उसके हाथ की एक उंगली काट दी और गाल में छेद कर गयी। यह छेद आज भी कायम है और उससे उसका भोजन पानी रिसता है, जिसे लोग प्राय: मवाद समझ जाते हैं। चेहरा बिगड़ने के बाद पी का स्वभाव कैसा रहता था, क्या वे चेहरा देख कर उदास हो जाते थे। देवमतिया बोली-हां, वह वह तो सब पुरुष के साथ होता है।

(नरसंहार पीडि़ता सीता कुंवर की ताजा तस्‍वीर।)

सीता कुवंर का बेटा मारा गया था। पूछती है- कौन कमा कर खिलाएगा। बताती है- पति मोती लाल यादव पुत्र के शोक में बीमार पड़ गए और अंततः उनकी जान चली गई। नयी नयी पुतोह आयी थी, उसका क्या हुआ। सीता बोली-किसके सहारे रहती, एक और छोटा बेटा रहता तो रह जाती। मायका चली गयी।

तब लालू यादव को दी गई थी गलत सूचना

(चश्‍मदीद आंधी सिंह यादव की ताजा तस्‍वीर।)

आंधी सिंह यादव का भाई समेत चार सगे-संबंधी इस नरसंहार में मारे गए थे। कहा- हमको अपनों ने लूटा, सरकार हमारी थी और जितने वादे किए गए, उसे पूरा नहीं किया गया। सड़क तक नहीं बनाई गई। जिस सड़क के किनारे बैठे हैं वह सड़क उनके प्रयास से अभी हाल में ही बनायी गयी है। उनका कहना था कि एक सड़क को ठेकेदारों ने गाँव नहीं पहुँचने दिया तो दूसरी सड़क की दिशा बदल दी गई। दोनों ही सड़कें मियांपुर नहीं पहुंची। गोह के एक स्वजातीय नेता से उनको शिकायत है। कहा कि लालू यादव को उस नेता ने ठगा। किया कुछ नहीं और उनको बताया कि मियांपुर में सब हो गया।

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