MaDurga Puja: धन व पुण्य के लिए करें अभिजीत मुहूर्त में स्वस्ति कलश स्थापन, जानें कलश स्थापना की विधि
सात अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक नवरात्र है। सात अक्टूबर गुरुवार को प्रतिपदा 03.28 बजे तक है। चित्रा नक्षत्र रात्रि 12.06 बजे तक है। वैधृति योग शेष रात्रि 05.32 बजे तक। अभिजीत मुहूर्त मध्य दिन 11.36 बजे से 12.24 बजे तक। जानें किस मुर्हूत का क्या होता है लाभ।
दाउदनगर (औरंगाबाद), संवाद सहयोगी। शारदीय नवरात्र गुरुवार से प्रारंभ हो रहा है। इस बार नवरात्र आठ दिनों का ही होगा। पहले दिन कलश स्थापना के लिए खास मुहूर्त यह जनना आम लोगों के लिए आवश्यक है। दैनिक जागरण संवाददाता ने इस संबंध में कर्मकांडी आचार्य लालमोहन शास्त्री से नवरात्रा से संबंधित शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी ली। इनके अनुसार सात अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक नवरात्र है। सात अक्टूबर गुरुवार को प्रतिपदा 03.28 बजे तक है। चित्रा नक्षत्र रात्रि 12.06 बजे तक है। वैधृति योग शेष रात्रि 05.32 बजे तक। अभिजीत मुहूर्त मध्य दिन 11.36 बजे से 12.24 बजे तक। डोली से माता रानी का आगमन होना है फल स्वरूप कोरोना की लहर से आक्रांत होकर मृत्यु की संख्या बढ़ सकती है। नवरात्र के प्रारंभ में कलश स्थापना से संबंधित शास्त्र का निर्देश है कि यदि चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग हो तो कलश प्रतिष्ठा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से धन और संतान पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
इस समस्या का है निदान भी
लालमोहन शास्त्री ने बताया कि इसके सम्बन्ध में शास्त्रों का वचन है कि आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग के साथ हो तो प्रथम चरण के त्याग कर स्थापना करें। अर्थात छह घंटा का एक चरण होता है, अत: चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण प्रात: 07.13 बजे समाप्त होता है। वैधृति योग के प्रथम चरण दिन 11.09 बजे समाप्त हो जाता है। अत: दिन 11.09 बजे के बाद से 03.28 बजे तक स्वस्ति कलश स्थापन कर सकते हैं। अभिजीत मुहूर्त 11.36 बजे से दिन 12.24 बजे के मध्य कलश स्थापना का सर्वोत्तम समय है। ऐसा शास्त्रों का निर्णय है।
कलश स्थापन विधि
प्रात: किसी नद या नदी से कलश यात्रा करें। सुंदर पवित्र मिट्टी से वेदी बनाकर जौ और गेहूं मिलाकर बुनना चाहिए। लाल रंग का वस्त्र पहन कर गौरी गणेश की पूजा कर अलंकृत कलश उचित समय में वेदी पर स्थापना करें। कलश पर माता जी का आह्वान कर पूजन करें। गोधृत से निर्मित प्रसाद निवेदित करें। नवजात बच्ची के रूप में शैल पुत्री की उपासना करें।
दिन 11.05 से 11.14 बजे के मध्य स्थापना करने से धन की प्राप्ति होती है।
दिन 01.19 से 03.04 बजे के मध्य स्थापना करने से पुण्य की प्राप्ति होगी।
दिन 03.4 से 03.28 बजे तक स्थापना करने से धन की वृद्धि होगी।
महालया सर्वपितृ अमावस्या आज : इनका होता है पिंडदान
बुधवार को अमावस्या है। सभी पितरों के लिए तर्पण और ङ्क्षपड दान किया जाता है। जिस पितर की मृत्यु तिथि को नहीं जानते हैं उन सभी के लिए तर्पण इत्यादि अमावस्या को ही करना चाहिए। सात गोत्रो के एक सौ आठ व्यक्तियों से संबंध रखा जाता है। माता, पिता, पत्नी, बहन, बेटी, फुआ, मौसी ये सात गोत्र हैं।