महिलाओं के मानवीय अधिकारों के रक्षा जरूरी
गया । सीयूएसबी के विधि संकाय द्वारा आयोजित दो दिवसीय ऑनलाइन संगोष्ठी मंगलवार को संपन्न हुआ।
गया । सीयूएसबी के विधि संकाय द्वारा आयोजित दो दिवसीय ऑनलाइन संगोष्ठी मंगलवार को संपन्न हुआ। नारी सशक्तिकरण एवं विधि प्राधिकारी सेवाओं के कर्तव्य विषय पर आयोजित संगोष्ठी के दूसरे दिन के कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. कुमारी नीतू द्वारा विषय प्रवेश के साथ हुआ। इस अवसर पर डीयू के विशेषज्ञ कृष्ण मुरारी यादव ने वूमेन शब्द की व्याख्या करते हुए कार्यपालिका और न्यायपालिका के महत्त्व पर जोर दिया। उन्होंने महिलाओं के उत्थान के लिए लाए गए प्रावधानों पर विशेष प्रकाश डाला। विशेषज्ञ के रूप में मौजूद डॉ. योगेंद्र वर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर पटना यूनिवर्सिटी ने अपने संबोधन में न्यायपालिका का नारी सशक्तीकरण के क्षेत्र में योगदान पर चर्चा किए। डॉ. वाणी भूषण, एसोसिएट प्रोफेसर पटना यूनिवर्सिटी ने महिलाओं के विकास में कानूनी जानकारी और सलाह के महत्व बताते हुए देश व दुनिया में हर क्षेत्र में भाग लेती महिलाओं का उदाहरण पेश किया। इतिहास के पृष्ठों को पलटते हुए उन्होंने कानूनों की आवश्यकता एवं भारतीय दण्ड संहिता में मौजूद नियमों और अन्य स्त्री केंद्रित नियमों के बारे में बताया। बीएचयू के विधि विभाग के प्रोफेसर रजनीश कुमार पटेल ने आज की महिलाओं की समस्याओं को साझा करते हुए समाज में महिलाओं की स्थिति एवं उनके द्वारा दिए जाने वाले त्याग व बलिदान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। लेकिन उनके साथ होते अपराध भी उसी दर से आगे बढ़र है। आज जरूरत उनके मानवीय अधिकारों की रक्षा की है। इसके लिए उन्हें कानूनी सुरक्षा मुहैया कराने की जरूरत है। जिसमें श्रम कानून विशेष स्थान रखते हैं। प्रो. पवन कुमार मिश्रा ने कार्यक्रम के सफल आयोजन पर सभी को बधाई दी। प्रो. भवानी प्रसाद पांडा ने देश के संविधान एवं अन्य कानूनों के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सभी कानून महिलाओं को तरक्की करने का नया न•ारिया प्रदान करते हैं। प्रो. कृष्ण नचलिल ने भविष्य में ऐसे अन्य सफल आयोजनों की कामना किया। कार्यक्रम में डॉ देव नारायण सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।