दूसरे को भूमि उपलब्‍ध कराने वाला खुद भूमिहीन, हाल कैमूर जिले के नुआंव प्रखंड व अंचल कार्यालय का

नुआंव प्रखंड कार्यालय की स्‍थापना को करीब 28 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन अभी तक इस कार्यालय के लिए अपनी जमीन उपलब्‍ध नहीं हो सकी है। अभी भी प्रखंड कार्यालय सहित कई विभाग सिंचाई विभाग की भूमि पर चल रहे हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 09:19 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 09:19 AM (IST)
दूसरे को भूमि उपलब्‍ध कराने वाला खुद भूमिहीन, हाल कैमूर जिले के नुआंव प्रखंड व अंचल कार्यालय का
नुआंव प्रखंड के संसाधन केंद्र का कार्यालय। जागरण

संवाद सूत्र नुआंव (कैमूर)। वर्ष 1992 में रामगढ़ प्रखंड के कुछ क्षेत्रों को काटकर नुआंव प्रखंड की स्थापना की गई। इस तरह से करीब 28 वर्ष हो गए हैं। लेकिन स्थापना से आज तक प्रखंड व अंचल कार्यालय को अपनी भूमि मयस्सर नहीं हो पाई है। वह तो  भला हो सिंचाई विभाग का जिसके पास इतनी जमीन थी कि प्रखंड के सभी विभागों को आज तक आश्रय प्रदान कर रहा है। इसी सिंचाई विभाग की जमीन पर प्रखंड कार्यालय और कई अन्य विभागों के भवन हैं। 2007 में जब सहायक थाने की यहां स्थापना हुई तो उसका भी भवन सिंचाई विभाग की जमीन पर हीं बना।

अधिकारियों तक के लिए नहीं हैं कक्ष

भूमिहीन लोगों को भूमि उपलब्ध कराने वाला अंचल कार्यालय खुद हीं भूमिहीन है। यह कार्यालय जहां चल रहा है वहां कभी कृत्रिम पशु गर्भाधान केंद्र हुआ करता था। शिक्षा विभाग का बीआरसी भवन भी इसी सिंचाई विभाग की भूमि पर बना है। इतने के बाद भी अभी भी प्रखंड कार्यालय के कई भवनों की आवश्यकता है। कृषि विभाग के भवन से ही कई विभागों के कार्य संपादित होते हैं।  कुछ विभागों के प्रमुखों के पास अपना निजी कक्ष तक नहीं है। इनमें प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी, सांख्यिकी पदाधिकारी जैसे अधिकारी शामिल हैं। ये जैसे-तैसे कार्यों को संपादित करते है। कृषि विभाग के भवन में ही एक छोटा सा कमरा निर्वाचन विभाग को दे दिया गया है।

दूरी का हवाला देकर किया अस्‍वीकृत

ऐसी बात नहीं है कि प्रखंड कार्यालय की भूमि के लिए पहल न की गई हो‌। अभी भी कुछ हीं समय पहले भूमि के लिए जमीन अधिगृहीत करने की बात चली थी। दो जगह जमीन भी देखी गई थी। एक गारा भोगनपुर रास्ते पर तथा दूसरा पजराव के पास। लेकिन तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी ने दूरी का हवाला देकर इसे अस्वीकृत कर दिया। उस समय के बीडीओ मनोज कुमार को यहीं आस पास ही जमीन तलाशने को कहा गया। परंतु आज तक तलाश पूरी नहीं हुई। देखना है कि यह तलाश कब तक पूरी होती है और प्रखंड कार्यालय अपनी खुद की भूमि पर कब भवन बना कर कार्यालय चालू करता है।

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