भूमिहीन प्लस टू शहीद विद्यालय के निजी भवन हालत जर्जर, पढ़ते हैं 381 बच्चे

गया। जिले के सरकारी विद्यालय संसाधनों की कमी का दंश झेल रहे हैं। नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत संचालित कई विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 11:13 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 11:13 PM (IST)
भूमिहीन प्लस टू शहीद विद्यालय के निजी भवन हालत जर्जर, पढ़ते हैं 381 बच्चे
भूमिहीन प्लस टू शहीद विद्यालय के निजी भवन हालत जर्जर, पढ़ते हैं 381 बच्चे

गया। जिले के सरकारी विद्यालय संसाधनों की कमी का दंश झेल रहे हैं। नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत गंगा महल मोहल्ला स्थित 1962 से प्लस टू शहीद विद्यालय निजी भवन में संचालन किया जा रहा है। यह विद्यालय भूमिहीन है। इसे देखने पर यही लगता है कि यहां उच्च शिक्षा का यह हाल है तो प्राथमिक शिक्षा का तो भगवान मालिक है। इस विद्यालय में नवमीं से 12वीं तक कुल बच्चों की संख्या 381 है।

इस विद्यालय में बच्चों के लिए पांच कमरे हैं और एक हॉल है। बता दें कि यह जर्जर भवन देखने से नहीं लगता है कि विद्यालय है। अंग्रेजों के जमाने का बना पुराना भवन मठ जैसा लगता है। बच्चों को खेलकूद के लिए मैदान नहीं है। प्रधानाचार्य अनिल कुमार बताते हैं कि इस विद्यालय का स्थापना काल से अपना भवन नहीं है। विद्यालय एक निजी भवन में संचालन किया जा रहा है। शिक्षा विभाग की ओर से विद्यालय भवन की गतिविधि शुरू हुई है। सुविधाओं के अभाव को लेकर नहीं पहुंच रहे बच्चे :

प्लस टू शहीद विद्यालय में 11 शिक्षक-शिक्षिका है। नवमीं से 12वीं तक कुल बच्चों की संख्या 381 है। यहां प्रधानाचार्य समेत 06 शिक्षक-शिक्षिकाएं है। साथ ही 05 गेस्ट शिक्षक है। इसमें एक गेस्ट शिक्षक विद्यालय नहीं आते है। वहीं, एक लिपिक, दो आदेशपाल एवं एक लाइब्रेरियन कार्यरत है। विद्यालय भवन जर्जर और बदहाल स्थित को लेकर बच्चों की उपस्थिति काफी कम होती है। बच्चों के पढ़ाई के लिए समुचित कमरा है न तो शौचालय की अच्छी सुविधा है। विद्यालय का शौचालय जीर्णशीर्ण हालत में है। विभागीय स्तर पर जर्जर विद्यालय भवन पर ध्यान नहीं :

अभिभावकों का कहना है कि इस विद्यालय को देखने से प्रतीत होता है कि कई साल से रंग रोगन भी नहीं किया गया है। इस जर्जर हालत से एक सवाल उठता है कि प्रत्येक साल विद्यालय विकास की राशि विद्यालय रखरखाव तथा स्वच्छता के लिए सरकार जो राशि भेजती है उसका होता क्या है, जो अब बदहाल और अव्यवस्थित हालत में संचालन किया जा रहा है। गुणवत्तापरक शिक्षा और सुविधाओं के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है। इसके बावजूद विद्यालयों के भवनों को दुरुस्त नहीं कराया जा रहा। विद्यालय की व्यवस्था और प्रबंधन की लापरवाही के कारण बच्चों को लेकर चिता बनी रहती है।

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