कैमूर में गरीबों के आशियाने के लिए नहीं मिल रही जमीन, पांच वर्षों से नहीं हो सका है आवास निर्माण
2016 से चयनित प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुकों का आवास नहीं बन सका है। इसके पीछे की वजह है भूमि की अनुपलब्धता। कैमूर के नुआंव प्रखंड का यह हाल है। यहां प्रखंड और अंचल कार्यालय के बीच पत्र का आदान-प्रदान चल रहा है।
संवाद सूत्र, नुआंव (कैमूर)। प्रखंड के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17और 2017-18 के चयनित प्रधानमंत्री आवास योजना के कुल दस लाभुकों को पक्का मकान आज तक नसीब नहीं हो सका है। इसमें तरैथा पंचायत के सूर्यपुरा गांव के पांच, कोटा पंचायत के करम्हरी गांव के दो, मुखरांव पंचायत के पड़ियारी और कठौरा गांव के एक एक तथा नुआंव पंचायत के गौरा गांव का एक लाभुक शामिल है । आवास का लाभ नहीं मिलने के पीछे मुख्य वजह भूमि की अनुपलब्धता बताई जा रही है।
तीन वर्षों से चल रहा पत्रलेखन का खेल
इनको भूमि उपलब्ध कराने के लिए प्रखंड कार्यालय और अंचल कार्यालय में पिछले तीन वर्षो से अधिक समय से पत्रों के आदान प्रदान का खेल जारी है। लेकिन अभी तक इस समस्या का कोई ठोस समाधान होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। हालिया पत्र इस बाबत बीडीओ ने (पत्रांक संख्या 1537 दिनांक 26 दिसंबर 2020) भेजा है। इसके जवाब का इंतजार प्रखंड कार्यालय को है। प्रखंड कार्यालय द्वारा इससे संबंधित जारी किए गए पत्रों के अवलोकन से पता चला कि इससे पहले भी पत्रांक संख्या 570 13/10/2017, पत्रांक संख्या 216 06/04/2018, पत्रांक संख्या 614 28/09/2018 तथा पत्रांक संख्या 514 22/07/2019 के माध्यम से अंचलाधिकारी को भूमि उपलब्ध कराने के लिए भेजा जा चुका है ।
अंचल के पास नहीं है तो कहां से दें जमीन
इसमें पत्रांक संख्या 951 01/08/2019 के माध्यम से अंचलाधिकारी ने सूचित किया कि अंचल के पास निजी जमीन नहीं है। सरकारी आदेशानुसार रास्ता, छवर, नाली, पाइन , ताल , पोखर इत्यादि का बंदोबस्त नहीं किया जा सकता है । फलतः वर्तमान स्थिति में जमीन उपलब्ध कराना अंचल के लिए संभव नहीं है । इसी तरह के पत्रों के आवाजाही में चयनित लाभुकों का आवास का सपना बना हुआ है। देखना है कि उनका यह सपना कब साकार होता है।
बता दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत 2015 में हुई थी। जिसका उद्देश्य वैसे परिवार जिनका देश के किसी भी क्षेत्र में पक्का मकान नहीं है। उन्हें 2022 तक पक्का मकान उपलब्ध कराना है। इसमें समतल क्षेत्र में एक लाख बीस हजार तथा पहाड़ी क्षेत्र में एक लाख तीस हजार रुपए सरकार द्वारा पक्के मकान बनाने के लिए प्रति लाभुक उपलब्ध कराया जाता है। योजना में खर्च होने वाली राशि का केंद्र और राज्य सरकारें 60 और 40 के अनुपात में वहन करती हैं जबकि विशेष राज्यों के संदर्भ में यह अनुपात 90 और 10 का होता है।