दीपावली पर मिट्टी के दीयों से रोशन होगा हर घर, तैयारियां शुरू

मानपुर। दीपों का त्योहार दीपावली आते ही शहर व गांव के लोग अपने-अपने घरो की सफाई करने लगते हैं। इसी के साथ घरों को रोशन करने की योजना भी बन रही है। इस कारण मिट्टी के दीये डिमांड में हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 10:51 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 10:51 PM (IST)
दीपावली पर मिट्टी के दीयों से रोशन होगा हर घर, तैयारियां शुरू
दीपावली पर मिट्टी के दीयों से रोशन होगा हर घर, तैयारियां शुरू

मानपुर। दीपों का त्योहार दीपावली आते ही शहर व गांव के लोग अपने-अपने घरो की सफाई करने में जुट जाते हैं। दीपावली के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है और हर घर में दर्जनों दीये जलाए जाते हैं। यह परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है, जो आज भी बरकरार है। दीयों का मूल्य जो गत वर्ष था, वही आज भी है। मानपुर में तैयार हो रहे 20 लाख दीये :

बाजार में रंग-बिरंगी चाइनीज बल्ब आने के बाद भी मिट्टी के दीयों की मांग काफी है। मानपुर कुम्हार टोली , नौरंग व गेरे रोड स्थित धर्मशाला के समीप से करीब 30 कुम्हार परिवार मिट्टी के दीये बना रहे हैं। उक्त लोगों का कहना है कि दीपावली त्योहार को लेकर यहां करीब 20 लाख दीया बनाया जाएगा। करीब 10 हजार दीये बनाया गया है। शेष दीया बनाने में कुम्हार परिवार जुटे हैं। ऐसे तैयार होते हैं दीये :

खेत में बने मटखान से मिट्टी लाकर कुम्हार परिवार अपने घर के पास रखते। उसमें पानी डालकर 24 घंटे छोड़ देते। उसके बाद पैर से मिट्टी को पूरा मिलाया जाता है। मिट्टी को लोंदा में बांटकर एक स्थान पर रखते हैं। फिर उसे गीले कपड़ा से ढक देते हैं। करीब 12 घंटा होने के बाद मिट्टी के एक लोंदा को चाक के बीच में रखकर हाथ के सहारे दीये बनाया जाता है। इस दरम्यान चाक की चाल धीमी होने पर चकैठी से चाक को घुमाना पड़ता। चार से बने दीया को धूम में सूखने के बाद आवा में पकाया जाता है। मानपुर के दीयों की शहर में है काफी मांग :

मानपुर के कुम्हार परिवार के हाथ की कला की चर्चा गया से लेकर जहानाबाद तक काफी होती है। उनके द्वारा बनाया गया दीया देखने में सुंदर और सुडौल होता है। इस कारण इसकी मांग काफी है। यहां का दीया मानपुर, गया, बेलागंज, मसौढ़ी , जहानाबाद आदि जगहों पर काफी बिकता है। उक्त स्थान से दीया लेने व्यापारी मानपुर आते हैं। क्या कहते हैं कुम्हार परिवार :

बिहार कुम्हार या प्रजापति समन्वय समिति के पूर्व सचिव नरेश प्रसाद, नगीना पंडित, विजय प्रजापति आदि का कहना है कि महंगाई की मार हम लोगों को भी झेलनी पड़ रही है। इस वर्ष हम लोगों को एक हजार रुपये में एक ट्रैक्टर मिट्टी खरीदनी पड़ रही है। दीया को पकाने के लिए जलावन व पुआल व अन्य सामग्री के भी दाम बढ़ गए हैं। दीयों की मांग काफी है। ग्राहकों की मांग पूरी करने में हम लोग दशहरे का त्योहार खत्म होते ही जुट गए हैं। अगर सरकारी पहल से इलेक्ट्रॉनिक चाक मिल जाए तो हम लोगों के धंधे में चार-चांद लग जाएगा।

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