पिछड़े-अति पिछड़े सहित समाज के कमजोर वर्गों के हितैषी थे कर्पूरी ठाकुर, ईमानदारी के थे प्रतिमूर्ति
दो-बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे जननायक कर्पूरी ठाकुर की पुण्यतिथि बुधवार को मनाई गई। वक्ताओं ने उनके आदर्शों पर प्रकाश डाला। कहा कि वे सादगी और ईमानदारी के प्रतिमूर्ति थे। उनके सिद्धांतों पर चलकर राज्य का सर्वांगीण विकास होगा।
जागरण संवाददाता, गया। अखिल भारतीय महात्मा ज्योतिबा फुले विचार मंच की ओर से बुधवार को गया में पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर की पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया गया। वक्ताओं ने उनके आदर्शों को आत्मसात करने का आह्वान किया। कहा कि तब ही समरस समाज की स्थापना का सपना साकार हो पाएगा।
सादगी भरा था जननायक का जीवन- विनय
मंच के राष्ट्रीय संयोजक रालोसपा नेता विनय कुशवाहा ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर सादगी ईमानदारी के प्रतिमूर्ति थे। कहा जाता है कि मुख्यमंत्री रहते हुए जननायक कर्पूरी ठाकुर सरकारी गाड़ी का उपयोग ना करके रिक्शा की सवारी करते थे। दो-दो बार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद उन्होंने सादगी नहीं त्यागी। वे राज्य और राष्ट्र के प्रति इतने समर्पित थे। सरकारी राशि का कभी दुरुपयोग नहीं किया। समाज में उनके योगदान को कभी नहीं भूला जा सकता। जननायक कर्पूरी ठाकुर ने मैट्रिक तक की शिक्षा को मुफ्त किया। साथ ही साथ अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म किया। वे पिछड़े, अति पिछड़े, दलित, महादलित सहित कमजोर वर्गों के सर्वांगीण विकास को तत्पर रहते थे। इन वर्गों के उत्थान के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अविस्मरणीय काम किया। उन्होंने पिछड़े वर्गों के लिए 27 फीसद आरक्षण को लागू किया।
आम आदमी के हितों के लिए रहे समर्पित
वक्ताओं ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर का जीवन सादगी भरा था। आम आदमी के हितों की रक्षा के लिए अपने आपको उन्होंने कुर्बान किया। हम सभी को उनके पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए गौरव महसूस हो रहा है कि ऐसे महापुरुष बिहार की धरती पर आए। इस मौके पर मंच के प्रदेश संयोजक सत्येंद्र प्रसाद सुमन, सह संयोजक वरिष्ठ अधिवक्ता कुमार शंभू प्रसाद, युवा नेता कुमार जितेंद्र, विनय कुमार, जितेंद्र कुमार सुमन सहित अन्य लोग उपस्थित थे। अध्यक्षता मंच के जिला संयोजक डॉ. अशोक कुमार ने की।