गर्मी आते ही एक बार फिर धधकने लगा कैमूर वन अभ्यारण्य, आए दिन हो रहीं अगलगी की घटनाएं
रोहतास जिले के कैमूर वन अभ्यारण्य क्षेत्र में गर्मी आते ही अगलगी की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इस बार भी कई जगहों पर आग लग चुकी है। इसमें दो हजार हेक्टेयर से अधिक में लगे पेड़-पौधे जल चुके हैं।
डेहरी ऑन सोन( रोहतास), संवाद सहयोगी। गर्मी शुरू होते ही कैमूर वन अभ्यारण के जंगलों में आग धधकने लगी है। अनुमंडल क्षेत्र के रोहतास, नौहट्टा, तिलौथू डेहरी प्रखंडों में अब तक तीन दर्जन से अधिक जगहों पर आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं में इस वर्ष अब तक लगभग दो हजार हेक्टेयर का वन क्षेत्र जलकर राख हो चुका है। बावजूद वन विभाग ने आग बुझाने के लिए पर्याप्त संख्या में फायर वाचर तक की व्यवस्था नहीं की है। वन क्षेत्र में आग लगने पर दूसरे विभाग एवं ग्रामीणों की भी मदद लेनी पड़ रही है।
30 हजार हेक्टेयर है वन भूमि
नौहटा एवं रोहतास प्रखंड के वनों का क्षेत्रफल 30 हजार हेक्टेयर भूमि में है। इसमें आग लगने से न केवल जंगलों बल्कि जंगली जानवरों को भी नुकसान पहुंचता है। वातावरण प्रदूषित होता है वह अलग। इन क्षेत्रों में 5 बीट हैं। प्रत्येक बीट में तीन से चार फायर वाचर रखने की व्यवस्था है। किंतु अभी तक इस क्षेत्र में मात्र 12 फायर वाचर हैं। उन्हें वर्ष भर में महज 72 दिन मजदूरी मिलती है। जंगली क्षेत्रों में आग लगने पर स्थानीय लोगों की भी पहल से बुझाई जा रही है। बताते चले कि अभी तक नौहटा प्रखंड के चुटिया, तिलोखर, पांडुका ,नवा डीह खुर्द, यदुनाथ पर बौलिया, महादेव खोह, केसिक्स, रोहतास में मझिगावा, मिल्की, रोहतास, बंजारी समेत दो दर्जन जगहों पर आग लगने से काफी पौधो को नुकसान पहुंचा है।
दूसरे विभागों से लेनी पड़ रही है मदद
रोहतास रेंज में नवाडीह खुर्द पडुका, चुटिया , तिलोखर के जंगल में इस सप्ताह में लगातार प्रत्येक दिन आग लगने पर जिला प्रशासन के निर्देश पर प्रखंड कार्यालय में रखे हुए फायर ब्रिगेड की गाड़ियां जाकर आग बुझाई है। वहीं कई स्थानों पर गांव के पब्लिक इकट्ठा होकर आग बुझाने का प्रयास किए हैं।
एक दशक से नहीं हो रही है नियुक्तियां
वन क्षेत्र में गर्मी के दिनों में आग लगने वाली घटनाओं पर नजर रखने के लिए वन शासन के द्वारा फायर वाचर की तैनाती ही नहीं की जा रही है। इससे वन क्षेत्र में लगने वाली आग की घटनाओं की भी विभाग को समय से जानकारी नहीं मिल पाती है ।ग्रामीणों द्वारा समय समय पर इसकी जानकारी दी जाती है। जबकि फायर वाचर का काम है कि दिन भर क्षेत्रों में भ्रमण कर यह देखना कि आग जंगल में कहां लगी है।और उसे कैसे बुझाया जा सके। दैनिक मजदूरी पर कुछ बेरोजगार युवकों को रखकर फायर वाचर के रूप में काम लिया जा रहा है।
कैसे लग रही है आग
जंगल में महुआ के व्यापक पैमाने पर पेड़ है। वर्तमान समय में महुआ के फल टपकते हैं ।जिसे सुनकर कामगार टाइप के लोग सुखाकर बेचते हैं। महुआ के पत्ते जो नीचे गिरे रहते हैं जिससे धरातल ढक जाता है ।और फल दिखाई नहीं देते हैं । इसीलिए उस पत्ते को जलाने के चक्कर में महुआ चुनने वाले लोग उसमें आग लगा देते हैं। और देखते ही देखते वह आग जंगल में फैल जाती है। ऐसे लोगों को चिन्हित करने की आवश्यकता है। ताकि आग पर आग लगने पर काबू पाया जा सके।वन क्षेत्र पदाधिकारी रोहतास हेम चंद्र मिश्र कहते हैं कि ऐसे लोगों को चिन्हित करने के लिए वन कर्मियों को लगाया गया है ।साथ ही साथ ग्रामीणों को जंगल में आग लगने पर उसे बुझाने एवं वन विभाग को सूचना देने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है। जनप्रतिनिधियों से भी अपील की गई है ।कि ऐसी सूचना मिलने पर उस पर तत्काल वन विभाग को सूचना दें। ताकि अग्रेतर कार्रवाई की जा सके।