जीवित्पुत्रिका का व्रत 29 सितंबर को, तैयारी में जुट गईं कैमूर की महिलाएं, जानें इस त्‍योहार का महत्‍व

कैमूर जिले में 29 सितंबर को जीवित्पुत्रिका का व्रत मनाया जाएगा। जीवितपुत्रिका व्रत को लेकर बाजार में तैयारी शुरू हो गई है। बाजारों में जीवित्पुत्रिका के लिए माला बनाने की दुकानें लगने लगी है। जिले में इस बार बुधवार को महिलाएं अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए जिवित्पुत्रिका व्रत रखेंगी।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 04:48 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 04:48 PM (IST)
जीवित्पुत्रिका का व्रत 29 सितंबर को, तैयारी में जुट गईं कैमूर की महिलाएं, जानें इस त्‍योहार का महत्‍व
जीवित्पुत्रिका का व्रत करतीं महिलाएं। जागरण आर्काइव।

संवाद सहयोगी, भभुआ। कैमूर जिले में 29 सितंबर को जीवित्पुत्रिका का व्रत मनाया जाएगा। जीवितपुत्रिका व्रत को लेकर बाजार में तैयारी शुरू हो गई है। बाजारों में जीवित्पुत्रिका के लिए माला बनाने की दुकानें लगने लगी है। जिले में इस बार बुधवार को महिलाएं अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए जिवित्पुत्रिका व्रत रखेंगी। हर वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत होता है। इस वर्ष 29 सितंबर को यह पर्व मनाया जाएगा। जीवित्पुत्रिका व्रत को जिउतिया या जीमूत वाहन का व्रत आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन माताएं विशेषकर पुत्रों के दीर्घ, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। जिस प्रकार पति की कुशलता के लिए निर्जला व्रत तीज रखा जाता है, ठीक वैसे ही जीवित्पुत्रिका व्रत निर्जला रहा जाता है।

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 28 सितंबर के शाम को करीब छह बजे के आसपास शुरू होगा। लेकिन पूरे दिन बुधवार को अष्टमी तिथि रहेगी। ऐसे में जिउतिया का पर्व 29 सितंबर को मनाया जाएगा। जीवित्पुत्रिका व्रत रखने वाली माताएं अगले दिन गुरूवार की सुबह पारण करेंगी। जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा महाभारत से जुड़ी है। अश्वथामा ने बदले की भावना से उत्तरा के गर्भ में पल रहे पुत्र को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। उत्तरा के पुत्र का जन्म लेना जरूरी था।

तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्यों के फल से उस बच्चे को गर्भ में ही दोबारा जीवन दिया। गर्भ में मृत्यु को प्राप्त कर पुन: जीवन मिलने के कारण उसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया। वह बालक बाद में राजा परीक्षित के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जिले के बाजारों में जिउतिया पर्व को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। जिउतिया को लेकर औरंगाबाद में एक अनोखी परपंरा है। इस पर्व को कलाकार लोक उत्‍सव के रूप में मनाते हैं। कलाकार अपनी प्रतिभा को दर्शाते हैं।

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