JEE Advance Result 2021: मजदूरी करने वाले तीन दंपतियों के बेटों ने लहराया सफलता का परचम

दाउदनगर शहर के निवासी दिहाड़ी मजदूरी करने वाले तीन दंपतियों के बेटों ने कमाल कर दिखाया। पैसे के अभाव में ना पढ़ने की बात कहने वाले बच्चों के लिए इन तीनों लड़कों ने प्रेरणा भरी कहानी लिखी। तीनों के मां-बाप दिहाड़ी मजदूरी करते हैं।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 04:55 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 04:55 PM (IST)
JEE Advance Result 2021: मजदूरी करने वाले तीन दंपतियों के बेटों ने लहराया सफलता का परचम
जेईई एडवांस में सफल सोनू, रवि, मुकेश, राहुल और हर्षवर्द्धन (बाएं से क्रमश:)। जागरण।

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद)। दाउदनगर शहर के निवासी दिहाड़ी मजदूरी करने वाले तीन दंपतियों के बेटों ने कमाल कर दिखाया। पैसे के अभाव में ना पढ़ने की बात कहने वाले बच्चों के लिए इन तीनों लड़कों ने प्रेरणा भरी कहानी लिखी। तीनों के मां-बाप दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। उत्तर प्रदेश में सड़क निर्माण में काम करते हैं और किसी भी परिस्थिति में पति-पत्नी दोनों मिलकर औसतन 15 से 16 हजार रुपये मात्र महीना कमा पाते हैं। इन तीनों दंपतियों के बेटों ने कमाल कर दिया। सामान्य में 20519 वां और अनुसूचित जाति में 619 वां रैंक हासिल करने वाले राहुल कुमार के पिता बसंत तांती और मां सावित्री देवी सड़क निर्माण कार्य में उत्तर प्रदेश में दिहाड़ी मजदूर हैं। पटना एक साल रहकर तैयारी की। लेकिन, लाकडाउन लगने के कारण दाउदनगर आ गया और यहां से ऑनलाइन पढ़ाई कर सफलता हासिल की।

तकनीक के माध्यम से देश की सेवा करना इसका लक्ष्य है। बताया कि इसके माता-पिता की संयुक्त आमदनी औसतन 15 से 16000 रुपये महीने से अधिक नहीं है। इसके साथ एक छोटा भाई और तीन बहन है। जेईई एडवांस में सामान्य में 29439 वां और अनुसूचित जाति में 1039 वां रैंक लाने वाले रवि कुमार के पिता संदीप प्रसाद और मां  एतवरिया देवी दैनिक मजदूरी करते हैं। ब्राह्मण टोली निवासी रवि पटना गया था, लेकिन लॉकडाउन में घर वापस आ गया। घर पर ही रह कर उसने तैयारी की।

महत्वपूर्ण है कि पिछले वर्ष उसके बड़े भाई मुन्ना कुमार ने सफलता हासिल की थी। वे आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर कर रहे हैं। इसी तरह वार्ड संख्या 22 निवासी पारस प्रसाद और सुमित्रा देवी उत्तर प्रदेश में दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं। इनके पुत्र सोनू कुमार ने अनुसूचित जाति में 2562 वां रैंक प्राप्त किया है। इसका लक्ष्य मल्टीनैशनल कंपनी में काम करना है। कहा कि पैसा कोई समस्या नहीं है। लक्ष्य हासिल करने के लिए समर्पण की अधिक जरूरत पड़ती है। सोनू के एक भाई निशांत कुमार एनआईटी सूरतकल से पढऩे के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी पुणे में काम कर रहे हैं। जबकि दूसरा भाई रोहित कुमार पीएचईडी में कनीय अभियंता का जॉब करते हैं।

बड़े के बाद छोटे भाई ने भी पाई सफलता, लक्ष्य यूपीएससी में सफलता प्राप्त करना

दाउदनगर पटवा टोली निवासी मुरारी प्रसाद और कमला देवी के पुत्र मुकेश कुमार ने भी आईआईटी जेईई एडवांस में सफलता हासिल की है। सामान्य में 22519 वां और अनुसूचित जाति में 693 वां स्थान हासिल किया है। बताया कि कंप्यूटर साइंस से पढ़ाई करने में रुचि है लेकिन अंतिम लक्ष्य यूपीएससी में सफलता हासिल करना है। इसकी तैयारी कर रहा है और प्रयास जरूर करेगा कि यूपीएससी में वह सफलता हासिल करे। बताया कि इस परीक्षा में उसका लक्ष्य टॉप 10 में स्थान हासिल करना था। हालांकि इतनी सफलता नहीं मिल सकी। उसके पिता अपनी जाति के लोगों का विवाह कराने का काम करते हैं जबकि मां गृहिणी हैं। बड़ा भाई नीरज कुमार भी आईआईटी में सफल रहा है और वह बेंगलुरु में रहकर जॉब करते हैं। बड़े भाई की तरह मुकेश ने भी पटना में रहकर तैयारी की है।

लडख़ड़ाते आत्मविश्वास के बावजूद अमौना के बाबू ने रचा इतिहास

प्रखंड के बाबू अमौना के निवासी वेंकटेश कुमार और गोरडीहां की निवासी रीता देवी के पुत्र हर्षवर्धन ने लडख़ड़ाते हुए आत्मविश्वास के बावजूद आईआईटी एडवांस में अखिल भारतीय स्तर पर 254 वां रैंक हासिल किया है। वर्तमान में हर्षवर्धन के पिता और मां पटना में आरपीएस मोड़ के पास रहते हैं। पिता आरपीएफ में इंस्पेक्टर के पद पर दानापुर में कार्यरत हैं। जबकि मां गृहिणी हैं। हर्षवर्धन ने बताया कि कंप्यूटर साइंस से तकनीक के क्षेत्र में कार्य करना चाहता हैं, ताकि देश तकनीकी रूप से और मजबूत हो। उसने बताया कि कई बार अपेक्षा के अनुरूप कम अंक प्राप्त होने पर उसका आत्मविश्वास डगमगाता था। कोचिंग या आईआईटी मेंस की परीक्षा में कम अंक आने पर उसका आत्मविश्वास लडख़ड़ाया। इसके लिए उसने अपने शिक्षकों से बात की तो शिक्षकों ने उसे मोटिवेट किया और वह इतना बेहतर प्रदर्शन कर सका। बताया कि एनटीएसई और केवीपीवाई जैसे राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित परीक्षाओं में उसने सफलता हासिल की है। बेहतर प्रदर्शन के कारण कोङ्क्षचग में उसका फी नहीं लगा। निशुल्क पढ़ाई आवासीय सुविधा के साथ उसे उपलब्ध कराई गई और आज उसने सबका मान बढ़ा दिया।

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