इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर के अध्‍यक्ष सत्‍यपाल महाथेरो का निधन, निजी अस्‍पताल में ली अंतिम सांस

दिल्‍ली के मूल निवासी इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर के अध्‍यक्ष सत्‍यपाल महाथेरो का निधन हो गया है। गया के एक निजी अस्‍पताल में उन्‍होंने अंतिम सांसें ली। दो दिनों से वे बीमार थे। उनकी अंत्‍येष्टि बौद्ध परंपरा के अनुसार शाम में निरंजना नदी के तट पर की जाएगी।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 01:59 PM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 04:45 PM (IST)
इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर के अध्‍यक्ष सत्‍यपाल महाथेरो का निधन, निजी अस्‍पताल में ली अंतिम सांस
एक कार्यक्रम में बोलते सत्‍यपाल महाथेरो।फाइल फोटो

बोधगया, जागरण संवाददाता। इंटनेशनल मेडिटेशन सेंटर (International Meditation Center) के अध्यक्ष सत्यपाल महाथेरो का निधन मंगलवार कोहो गया। गया के एक निजी अस्‍पताल में इलाज के दौरान उन्‍होंने अंतिम सांसें ली। गया के निरंजना नदी के तट पर शाम मेंं उनका अंतिम संस्‍कार किया जाएगा। उनके निधन की खबर से शोक की लहर दौड़ गई है। सत्‍यपाल महाथेरो मूलत: दिल्ली के रहने वाले थे।

दिल्‍ली के रहने वाले थे सत्‍यपाल  

वर्ष 2008 में बौद्ध भिक्षु का चीवर धारण कर इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर में रह रहे थे। उनकी कार्य कुशलता को देखते हुए वर्ष 2010 के बाद उन्हें सेंटर का अध्यक्ष बनाया गया था। तब से वे अध्यक्ष के पद पर आसीन थे। सेंटर के एक भिक्षु ने बताया कि पिछले दो दिन से वे बीमार थे और उन्हें इलाज के लिए गया के निजी अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था। वहां इलाज के दौरान आज उनका निधन हो गया। भिक्षु ने बताया कि आज शाम निरंजना नदी के तट पर उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार बौद्ध परंपरा के अनुसार किया जाएगा। कोरोना गाइडलाइन के तहत सारी प्रक्रिया पूरी की जाएगी। 

बौद्ध धर्म के ज्ञाता और उच्‍च शिक्षित थे महाथेरो   

उनके निधन की सूचना बोधगया के सभी बौद्ध मंदिर व मोनास्ट्री में दी गई है। उम्मीद है कि सभी मंदिर व मोनास्ट्री के भिक्षु उनके अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। उनके निधन पर इंटरनेशनल बुद्धिस्ट काउंसिल (International Buddhist Council) के महासचिव भंते प्रज्ञा दीप ने कहा कि यह हम सबों के लिए काफी दुख की बात है और बौद्ध समुदाय के लिए अपूरणीय क्षति है। वे काफी शिक्षित और बौद्ध धर्म के ज्ञाता थे। आइएमसी का अध्यक्ष होने के नाते समय-समय पर आइबीसी की बैठक में भाग लेते हुए वे महत्वपूर्ण सलाह दिया करते थे। उसका अनुपालन हम लोग किया करते थे प्रतिदिन महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) में पूजा और परिक्रमा करने वाले भिक्षुओं में से एक थे।

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