कैमूर में किसानों की क्षमता बढ़ा कर आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की पहल
भभुआ। ग्रामीण स्तर पर किसानों को समूह बनाकर आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की पहल कृषि प्रौद्योगिकी अभिकरण आत्मा के द्वारा प्रारंभ कर दी गई है। इसको लेकर प्रत्येक प्रखंड में दो महिला कृषक हित समूह चार पुरुष कृषक हित समूह का गठन किया जा रहा है।
भभुआ। ग्रामीण स्तर पर किसानों को समूह बनाकर आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की पहल कृषि प्रौद्योगिकी अभिकरण आत्मा के द्वारा प्रारंभ कर दी गई है। इसको लेकर प्रत्येक प्रखंड में दो महिला कृषक हित समूह चार पुरुष कृषक हित समूह का गठन किया जा रहा है। समूह के सदस्य कृषि व पशुपालन के क्षेत्र में स्वावलंबी बनकर आर्थिक रूप से मजबूत हो सकेंगे। समूह से जुड़े हुए लोगों को समय-समय पर विशेषज्ञों द्वारा नई तकनीकी जानकारी से अवगत कराया जाएगा। ताकि फसलों का उत्पादन अधिक से अधिक प्राप्त कर सकें। कैमूर जिले में अभी तक 11 कृषक हित समूह का गठन किए जाने का काम पूर्ण कर लिया गया है। समूह के लोग आपस में सदस्यता शुल्क के माध्यम से राशि एकत्रित कर समूह को मजबूत करेंगे। आवश्यकता पड़ने पर समूह में एकत्र राशि को जरूरतमंद सदस्य को 2 प्रतिशत ब्याज की दर पर राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
इस संबंध में कृषि प्रौद्योगिकी विकास अभिकरण के परियोजना उपनिदेशक नवीन कुमार सिंह ने बताया कि कैमूर जिले के प्रत्येक प्रखंड में कृषक हित समूह के गठन का कार्य किया जा रहा है। समूह गठन के अंतर्गत प्रत्येक प्रखंड में चार पुरुष व दो महिला समूह को शामिल किया जाना है। गठित समूह के महिला व पुरुष सदस्यों को क्षमता संवर्धन को लेकर उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ताकि समूह के लोग क्षमता संवर्धन के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक रूप से स्वावलंबी होने के लिए कार्य कर सकें। परियोजना उपनिदेशक ने बताया कि महिला समूह को खाद्य सुरक्षा से संबंधित विभिन्न उद्यम आधारित पहलुओं के आर्थिक पक्षों की जानकारी देकर उन्हें स्वावलंबी बनाने का काम किया जा रहा है।
समूह में कितने होंगे सदस्य:
महिला व पुरुष कृषक हित समूह का गठन करने के लिए प्रत्येक समूह में 15 से 20 सदस्यों का एक समूह होगा।
सदस्यों में से अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। अध्यक्ष चुने जाने के बाद कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। समूह गठन हो जाने के बाद कृषि प्रौद्योगिक अभिकरण में कार्यालय में संबंधित समूह का पंजीयन आवश्यक है। पंजीयन होने के बाद अध्यक्ष के नाम से खाता खोला जाएगा। जिसमें समूह की संबंधित राशि को जमा किया जाएगा। समूह में जुड़ने वाले प्रत्येक सदस्य को प्रतिमाह 50 रुपये की सदस्यता शुल्क जमा करनी है। इसी सदस्यता शुल्क से संचित राशि का उपयोग समूह के लोग आवश्यकतानुसार कर सकेंगे। परियोजना उपनिदेशक ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर समूहों को दस हजार की राशि सीड मनी/रिवाल्विग फंड के रूप में देने का प्रावधान है। लेकिन राशि समूह के आत्मनिर्भर हो जाने पर वापस ले ली जाएगी। इसके अलावा आत्मा के पंजीकृत समूहों में उद्यम आधारित समूह के आधार पर उन्हें पुरस्कृत करने का भी प्रावधान है।