प्रसव के समय मौत की सूचना देने पर मिलेगी प्रोत्साहन राशि, कैमूर सीएस बोले- जागरूकता का अभाव
मातृ मृत्यु दर में कमी लाने का किया जा रहा प्रयास। सुमन कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं को मिल रही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं। प्रभारी सीएस ने कहा-संस्थागत प्रसव और चार प्रसव पूर्व जांच है सुरक्षित मातृत्व की शुरुआत।
भभुआ, जागरण संवाददाता। सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव की सलाह सभी गर्भवती महिलाओं को दी जाती है। लेकिन कई बार संस्थागत प्रसव के दौरान बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में प्रसूति महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कभी कभी दुर्भाग्यवश मृत्यु भी हो जाती है। सुरक्षित मातृत्व आश्वाशन कार्यक्रम “सुमन” के तहत अब जिले में गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रहीं हैं। महिलाओं का विश्वास संस्थागत प्रसव की तरफ बढ़ा है और यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों से स्पष्ट होता है।
गर्भवती महिलाओं को मिल रही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. जे. एन.सिंह ने बताया कि सुमन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्रसूति महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करना है। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं लेकिन जागरूकता के अभाव में में कई बार समुदाय के लोग इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। सुमन कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं प्रसव के उपरांत छह महीने तक प्रसूति महिलाओं एवं उनके नवजात शिशु को निशुल्क गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करना है।
प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु की सूचना देने पर मिलेगी प्रोत्साहन राशि
सुमन कार्यक्रम के तहत शत-प्रतिशत मातृ मृत्यु दर की रिपोर्टिंग का लक्ष्य निर्धारित है। इसके लिए सबसे पहले मातृ मृत्यु की सूचना देने वाले व्यक्ति को एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाती है। जबकि मृत्यु के 24 घंटे के अंदर स्थानीय पीएचसी में सूचना देने पर आशा कार्यकर्ता को भी दो सौ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसके अलावा इस संबंध में किसी प्रकार की परेशानी होने पर 104 टोल फ्री नंबर पर कॉल कर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। सुमन कार्यक्रम के तहत प्रसव के बाद आवश्यकतानुसार बीमार प्रसूति और शिशु को निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।जिले के सरकारी अस्पतालों में होता है 83.3 प्रतिशत प्रसव:जिले में संस्थागत प्रसव के आंकड़ों में सुधार हो रहा है जो सरकारी अस्पतालों पर समुदाय की बढ़ते विश्वास का सूचक है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-20) के आंकड़ों के अनुसार जिले में संस्थागत प्रसव का आंकड़ा 83.3 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (2015-16) के आंकड़ों के अनुसार संस्थागत प्रसव का आंकड़ा जिले में 80.1 प्रतिशत था।