बिहार के इस गांव में ग्रह-नक्षत्रों के अनुसार लगाए गए हैं पौधे, कोविड से भी मुक्‍त रहा गायत्री धाम प्रज्ञा कुंज गांव

30 वर्ष पूर्व गायत्री धाम प्रज्ञा कुंज गांव की आधारशिला वसंतपंचमी के दिन शांति कुंज हरिद्वार से आए साधु संतों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ रखी थी। यहां नवग्रह और नक्षत्र वाटिका को दूर-दूर से लोग देखने आते हैं। वैश्विक महामारी कोरोना का असर इस गांव में नहीं रहा।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 06:28 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 01:35 PM (IST)
बिहार के इस गांव में ग्रह-नक्षत्रों के अनुसार लगाए गए हैं पौधे, कोविड से भी मुक्‍त रहा गायत्री धाम प्रज्ञा कुंज गांव
गायत्री धाम प्रज्ञा कुंज गांव में बना नवग्रह वाटिका, जागरण फोटो।

अमरातालाब (सासाराम), आदर्श तिवारी। रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित  गायत्री धाम प्रज्ञा कुंज गांव अन्य गांवों से कुछ हटकर है। लगभग 30 वर्ष पूर्व स्थापित इस गांव के हर घर में संस्कार दिखता है। इस गांव की खासियत यह कि यहां स्थित नवग्रह और नक्षत्र वाटिका को दूर-दूर के लोग देखने के लिए आते हैं। नौग्रह के लिए अलग-अलग वृक्ष इस वाटिका को खास बनाते हैं। इस गांव की आधारशिला 1992 में वसंतपंचमी के दिन शांति कुंज हरिद्वार से पधारे साधु संतों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ रखी थी। तब यहां एक दर्जन लोगों द्वारा एक ही नक्शे का घर बनाया गया था। अब इस गांव में घरों की संख्या 35 है। खास यह कि यहां अलग-अलग स्थानों से आए अलग-अलग जातियों के लोग रहते हैं लेकिन सभी शाकाहारी हैं।

गांव के संरक्षक लालबिहारी सिंह बताते हैं कि हर घर में सनातन संस्कृति का पालन सभी सदस्य करते हैं। बच्चों के लिए भी गायत्री मंत्र, योग-प्राणायाम व नैतिक संस्कार अनिवार्य हैं। बड़े-बुजुर्ग भी सत्संग, योग व गायत्री मंत्र को अपनी दिनचर्या में शामिल किए हैं। गांव की खासियत यह भी है कि यहां अलग-अलग जाति व अलग-अलग स्थान के लोग निवास करते हैं और प्रेम भाईचारा यहां अटूट दिखता है।

गांव में प्रवेश मार्ग पर पांच सौ मीटर तक दोनों तरफ तुलसी के पौधे

रोहतास जिला मुख्यालय से उत्तर उचितपुर गांव के समीप स्थित इस गांव में प्रवेश करने वाले पांच सौ मीटर के मार्ग में दोनों तरफ तुलसी के पौधे लगाए गए हैं। जो यहां की खूबसूरती बढऩे के साथ साथ यहां से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति को औषधीय गुणों से युक्त आक्सीजन प्रदान करता है। प्रज्ञा कुंज धाम में सभी धर्म और वर्ग के लोगों को आदर्श व संस्कारयुक्त मानव जीवन के लिए निशुल्क शिक्षा भी दी जाती है।  इसके अलावा पंचकोश रिसर्च सेंटर भी ऑनलाइन मोड में संचालित होता है। इसके तहत पंचकोश यौगिक विज्ञान को सिखाया जाता है। जिसमें शरीर के सभी अंगों को योग और प्राणायाम के द्वारा शरीर को स्वस्थ और निरोग रहने की शिक्षा दी जाती है।

नौग्रह मंडल के लिए विशेष वाटिका

इस गांव में नवग्रह मंडल के लिए विशेष वाटिका बनी है। नवग्रह मंडल में सूर्य के लिए अर्क, सोम के लिए पलास , मंगल के लिए खदिर (खैर ), बुध के लिए अपमार्ग, गुरु के लिए पीपल, शुक्र के लिए औदुम्बर, शनि के लिए शम्मी, राहु के लिए दूब और केतु के लिए कुश रोपकर नवग्रह मंडल स्थापित किया गया है।

 27 नक्षत्राों के लिए भी अलग-अलग वाटिका

 27 नक्षत्रों के आधार पर गृहवाटिका, मसाला वाटिका और पर्यावरण वाटिका बनाया गया है। मसाला वाटिका में बड़ी इलायची, मोथा ,सौंफ , हींग, करौंदा, जीरा , तेजपत्र ,दालचीनी लौंग, कोकम आदि के पौधे लगाए गए हैं। गृह वाटिका में घृतकुमारी, शतावर, बच, वासा, पत्थरखडा, पोइ, मुलहठी, कपूर, तुलसी, सदाबहार, अश्वगंधा, हठजोड़, कालमेघ समेत अन्य कई जड़ी बूटियां रोपी गई हैं। वहीं अन्य वाटिका में औषधीय पौधे भी काफी संख्या में हैं। जिसमें कपूर , तेजपत्र , दालचीनी, कालीमिर्च, लौंग, हींग अलावे खैर , गूलर, पलास, रुद्राक्ष आदि शामिल है।

कोरोना महामारी से मुक्त रही बस्ती

ग्रामीण बताते हैं कि यहां का शुद्ध वातावरण, संतुलित दिनचर्या व औषधीय पौधों से युक्त इस बस्ती में कोरोना की पहली व दूसरी लहर की चपेट में कोई नहीं आया। वे रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिए आयुर्वेद व औषधीय पौधों का उपयोग भी किए। जिसके कारण वैश्विक महामारी कोरोना का असर इस गांव में नहीं रहा।

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