छह दशक में विभाजन से लेकर बंटवारा तक का झेला दंश
बोधगया। मगध विश्वविद्यालय सोमवार को अपने स्थापना के 60 वें वर्ष में प्रवेश कर जाएगा। यहां के शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मी और छात्रों के लिए गौरव की बात है। भले ही आज विवि के स्थापना दिवस देखने के लिए शुरुआती दौर के इक्का-दुक्का शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मी हों। लेकिन गर्व के साथ आज भी मविवि अपने अतीत के आइने में झांकता नजर आता है। भले ही इसका स्वर्णिम युग समाप्त हो गया और पुराना वजूद भी सिमटने के कगार पर है। लेकिन विवि प्रशासन स्तर से इसके गौरवशाली अतीत को बनाने का हर संभव प्रयास किया जाता रहा है।
बोधगया। मगध विश्वविद्यालय सोमवार को अपने स्थापना के 60 वें वर्ष में प्रवेश कर जाएगा। यहां के शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मी और छात्रों के लिए गौरव की बात है। भले ही आज विवि के स्थापना दिवस देखने के लिए शुरुआती दौर के इक्का-दुक्का शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मी हों। लेकिन गर्व के साथ आज भी मविवि अपने अतीत के आइने में झांकता नजर आता है। भले ही इसका स्वर्णिम युग समाप्त हो गया और पुराना वजूद भी सिमटने के कगार पर है। लेकिन विवि प्रशासन स्तर से इसके गौरवशाली अतीत को बनाने का हर संभव प्रयास किया जाता रहा है। मविवि दो बार विभाजन का दंश झेला तो एक बार जमीन बंटवारे का दंश से अभी तक उबर नहीं पाया है।
1962 में स्थापित मगध विश्वविद्यालय का दो बार विभाजन हुआ तो एक बार जमीन का बंटवारा भी हुआ। कभी यह बिहार का सबसे बड़ा विवि में भूखंड व अंगीभूत तथा संबद्ध कॉलेजों के कारण शुमार था। आज यह केवल मगध प्रमंडल के गया, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद और नवादा जिला तक सिमट कर रह गया।
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पहला विभाजन 91 व दूसरा 2017 में
मगध विश्वविद्यालय का पहला विभाजन वर्ष 1991 में हुआ और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय बना। तब मविवि भोजपुर क्षेत्र से अलग हो गया। इसके पहले कैमूर, भोजपुर, बक्सर और रोहतास जिले के कॉलेज मविवि के अधीन थे। दूसरा विभाजन वर्ष 2017 में हुआ और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की स्थापना हुयी। इस नए विवि में पटना और नालंदा जिले के सभी अंगीभूत व संबद्ध कॉलेज अलग हो गए। इतना ही नहीं, वीर कुंवर सिंह व पाटलिपुत्र विवि में मविवि के परिसंपत्ति व राशि का बंटवारा के साथ-साथ कर्मचारियों का विभाजन भी बंटवारा हुआ।
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25 अंगीभूत कॉलेज रह गए मविवि में
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के स्थापना और अस्तित्व में आने के बाद मगध विश्वविद्यालय में मात्र 25 अंगीभूत कॉलेज मगध प्रक्षेत्र के जिलों के रह गए। जिसमें 19 अंगीभूत, एक अल्पसंख्यक और शेष संबद्ध कॉलेज शामिल है।
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119 एकड़ आइआइएम को मिला
मगध विश्वविद्यालय को बोधगया मठ द्वारा लगभग तीन सौ एकड़ भूखंड दान में दिया गया था। इसमें से 119 एकड़ भूखंड राज्य सरकार के पहल पर आइआइएम बोधगया को हाल के दशक में स्थानांतरित कर दिया गया। जहां आज आइआइएम के नए भवन बन रहे हैं। इतना हीं नहीं, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय का नवनिर्मित भवन, छात्रावास, स्टेडियम और शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का आवास भी आइआइएम के हिस्से में चला गया।
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कहते हैं कुलपति
फोटो-21
निश्चत रूप से किसी संस्था के लिए स्थापना दिवस महत्वपूर्ण दिवस होता है। यह सौभाग्य की बात है कि मनिषियों, समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों व राजनीतिज्ञों ने मविवि की स्थापना में अपना अमूल्य योगदान दिया है। आमजनों को मविवि से बहुत सारी अपेक्षाएं हैं। समय बदल रहा है। उस अनुरूप विवि को ढालने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि गौरवशाली अतीत वर्तमान में भी परिलक्षित हो सके।
प्रो. राजेंद्र प्रसाद, कुलपति , मविवि बोधगया