रोहतासगढ़ तीर्थ महोत्सव में मांदर की थाप से गूंजेगी कैमूर पहाड़ी की वादियां, नमन करने पहुंचेंगे वनवासी
रोहतासगढ़ तीर्थ यात्रा महोत्सव में देश के कोने कोने से आए वनवासी शनिवार को रोहतासगढ़ किला पहुंचकर अपने पूर्वजों की धरती को नमन करेंगे। किला परिसर में लगे अति प्राचीन करम वृक्ष की पूजा अर्चना भी करेंगे। मंदिर की थाप से कैमूर पहाड़ी की वादी गूंजायमान होगी।
संवाद सहयोगी, सासाराम। रोहतासगढ़ तीर्थ यात्रा महोत्सव में देश के कोने कोने से आए वनवासी शनिवार को रोहतासगढ़ किला पहुंचकर अपने पूर्वजों की धरती को नमन करेंगे। किला परिसर में लगे अति प्राचीन करम वृक्ष की पूजा अर्चना भी करेंगे। गीत नृत्य के साथ महोत्सव का आगाज किया जाएगा व मंदिर की थाप से कैमूर पहाड़ी की वादी गूंजायमान होगी।
सोमवार तक चलने वाले इस तीर्थ यात्रा महोत्सव में कई प्रमुख लोग शामिल हो रहे हैं, जिसमें राज्यसभा सदस्य व भाजपा अजा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष समीर उरांव, छत्तीसगढ़ के पूर्व वन एवं पर्यावरण मंत्री गणेश राम भगत शामिल हैं। उरांव जनजाति के लोगों के अनुसार यहीं से उनके पूर्वज देश के विभिन्न भागों में गए हैं। वनवासी स्वतंत्रता आंदोलन में तोप का निर्माण इसी क्षेत्र में अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध के लिए किए थे। उरांव जनजाति के लोगों के अनुसार पूर्वजों की यह धरती रही है और यहीं से पूरे देश में उरांव जाति का प्रसार हुआ है। जनजाति समुदाय की संस्कृति, विरासत एवं उरांव जनजाति के उद्गमस्थल को राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित करने को लेकर तीर्थयात्रा महोत्सव का आयोजन यहां 2006 से शुरू किया गया है।
यह महोत्सव तीन दिनों तक संचालित होता है। काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान के शोध अन्वेषक डॉ. श्याम सुन्दर तिवारी ने कहा कि उरांव जनजाति का स्थल रोहतास गढ़ ही है। इनके पूर्वजों के ऐश्वर्य की गाथा कहता रोहतास गढ़ किला का वर्णन उरांव जन जाति के घर होने वाले पूजा अर्चना में गाए जाने वाले गीत में भी होता है। उसी समय का लगा करम पेड़ आज भी है, जिसकी पूजा करते हैं। यह पेड़ इनके लिए बोधिवृक्ष समान है। वहीं आयोजन समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि यह महोत्सव आदिवासी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए बेहतर प्रयास है।