खरगोश का इलाज करके चक्‍कर में फंसीं गया की डाक्‍टर, सरेंडर करने पहुंची तो कोर्ट में हुआ ऐसा

गया के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (तृतीय) के अंगरक्षक लापरवाही का आरोप लगाते हुए किया है केस। खरगोश के एक बच्‍चे की मोत हो गई थी। जमानत तक महिला पशु चिकित्सा अधिकारी को रखा पुरुष हाजत में अधिवक्ता ने जताई आपत्ति।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sat, 28 Aug 2021 09:41 AM (IST) Updated:Sat, 28 Aug 2021 09:41 AM (IST)
खरगोश का इलाज करके चक्‍कर में फंसीं गया की डाक्‍टर, सरेंडर करने पहुंची तो कोर्ट में हुआ ऐसा
खरगोश के इलाज में लापरवाही मामले में हुई सुनवाई। प्रतीकात्‍मक फोटो

गया, जागरण संवाददाता। खरगोश के इलाज में लापरवाही (Negligence in the treatment of Rabbit) के मुकदमे में महिला पशु चिकित्सा पदाधिकारी माधुरी कुमारी (Veterinary Officer Madhuri Kumari) को जमानत मिल गई है। प्रभारी न्यायिक दंडाधिकारी सह एसीजेएम गायत्री कुमारी ने शुक्रवार को उन्हें जमानत दी। न्यायिक दंडाधिकारी ने इसके लिए पांच-पांच हजार रुपये का बेल बांड देने का आदेश दिया। शुक्रवार को पशु चिकित्सा पदाधिकारी ने वरीय अधिवक्ता खगेश चंद्र झा एवं अधिवक्ता सतीश नारायण सिंह के साथ अदालत में आत्मसमर्पण किया। साथ ही जमानत का आवेदन दायर किया। बहस के बाद उन्हें जमानत मिल गई।  

पिछले 20 अगस्‍त को दर्ज कराई गई थी प्राथमिकी

20 अगस्त 2021 को सिविल लाइन थाने में खरगोश के इलाज में लापरवाही को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इसे दर्ज कराया था जयकिशोर जिज्ञासा ने, जो अभी गया के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (तृतीय) के अंगरक्षक के पद पर तैनात हैं। उनका आरोप था कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (तृतीय) के आदेश पर वह मादा खरगोश को इलाज के लिए महिला पशु चिकित्सा पदाधिकारी माधुरी कुमारी के पास ले गए थे। डॉक्टर ने खरगोश की जांच के बाद उसे इंजेक्शन लगाया। घर लौटने पर खरगोश ने चार बच्चों को जन्म दिया और जिनमें से एक की मौत हो गई। तीन की हालत गंभीर थी। उन्होंने पशु चिकित्सा पदाधिकारी पर सही ढंग से इलाज नहीं करने का आरोप लगाया गया था।

बेल बांड देने तक हाजत में रखी गईं डाक्‍टर   

इसी मामले में शुक्रवार को डॉक्टर ने अदालत में आत्मसमर्पण कर जमानत की अर्जी दाखिल की। उनके अधिवक्ता ने बताया कि यह जमानतीय मुकदमा है। इसलिए जमानत पर चिकित्सक को छोड़ने का आदेश दिया गया है। पशु चिकित्सा पदाधिकारी को बंधपत्र दिए जाने तक न्यायिक हिरासत में हाजत में रखा गया। अधिवक्ता ने  बताया कि बिना महिला पुलिस के महिला चिकित्सा पदाधिकारी को पुरुष पुलिस हाजत में ले जाया गया। यह गलत है। 

chat bot
आपका साथी