Aurangabad: सदर अस्पताल में आइसीयू की सुविधा पर वेंटिलेटर नहीं, कैसे निपट पाएंगे कोरोना थर्ड वेब से

बायो मेडिकल टेक्नीशियन न रहने से मरीजों को इलाज कराने में परेशानी होती है। आइसीयू में लगे वेंटिलेटर का प्रयोग वैसे मरीजों के लिए किया जाता है जिन्हें सांस लेने में परेशानी होती है। कोरोना के दूसरी लहर में ऐसे मरीजों की संख्या अधिक थी।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 11:33 AM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 11:33 AM (IST)
Aurangabad: सदर अस्पताल में आइसीयू की सुविधा पर वेंटिलेटर नहीं, कैसे निपट पाएंगे कोरोना थर्ड वेब से
औरंगाबाद सदर अस्‍पताल के डॉक्‍टरों को वेंटिलेटर का इंतजार। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। सदर अस्पताल परिसर में इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) है। आइसीयू में चार बेड है। 10 मई 2021 को इसका उद्घाटन बड़े तामझाम से किया गया था परंतु स्थिति ठीक नहीं है। आइसीयू में न तो चिकित्सक हैं न टेक्नीशियन। अधिकांश पद खाली पड़े हैं।

बायो मेडिकल टेक्नीशियन न रहने से मरीजों को इलाज कराने में परेशानी होती है। आइसीयू में लगे वेंटिलेटर का प्रयोग वैसे मरीजों के लिए किया जाता है जिन्हें सांस लेने में परेशानी होती है। कोरोना के दूसरी लहर में ऐसे मरीजों की संख्या अधिक थी, जिन्हें कोरोना संक्रमित होने के कारण सांस लेने में दिक्कतें आ रही थी। सांसें रुकने से उनकी मौत हो जा रही थी। आइसीयू में कर्मियों की कमी है जो हैं भी वे समय से डयूटी नहीं दे पाते हैं।

83 दिनों में 49 का हुआ इलाज, 11 की मौत

सदर अस्पताल परिसर स्थित आइसीयू का उद्घाटन हुए 83 दिन बीत गए परंतु अब तक मात्र 49 मरीजों का इलाज हुआ है। कोरोना संक्रमण के दौरान 11 मरीजों की मौत हो गई है। यहां गंभीर मरीजों को भर्ती किया जाता है। आइसीयू के नोडल पदाधिकारी डा. जन्मेंजय कुमार ने बताया कि यहां जो भी मरीज इलाज के लिए भर्ती हुए उनका जितना संभव था, बेहतर इलाज किया गया।

तीसरी लहर के लिए आइसीयू तैयार है, परंतु चिकित्सक एवं कर्मियों की जरूरत है। आबादी के हिसाब भी बेड भी कम है। औरंगाबाद की आबादी करीब 30 लाख है परंतु आइसीयू में मात्र चार बेड है। वैसे बताया जाता है कि सदर अस्पताल में आइसीयू होने का लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सक के अभाव के कारण गंभीर मरीजों को डयूटी पर रहे चिकित्सक रेफर का पुर्जा थमा देते हैं। मूछर्क चिकित्सक के न रहने के कारण शल्य चिकित्सा भी नहीं हो पाता है।

तीसरी लहर को लेकर दी गई ट्रेनिंग

कोरोना की तीसरी लहर को लेकर सरकार गंभीर है। सरकार ने आइसीयू के नोडल पदाधिकारी डा. जन्मेंजय कुमार एवं एक अन्य चिकित्सक डा. अमृत कुमार को तीसरी लहर को देखते हुए कुछ दिन पहले पटना में ट्रेनिंग दिया था। ट्रेनिंग में शामिल दोनों चिकित्सकों को बताया गया था कि आप जिले में जाकर लोगों को तीसरी लहर से अलर्ट करें। चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मियों को ट्रेनिंग दें। डा. जन्मेंजय ने बताया कि इसकी जानकारी यहां के वरीय अधिकारियों को दिया परंतु ट्रेनिंग की दिशा में कोई ठोस कार्य नहीं हुआ है।

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