Bihar: गांधीवादी सुंदरानीजी की अस्थियों का गंगा में हुआ विसर्जन, दशकर्म से पहले बन जाएगा स्मारक

Bodhgaya special news समाजसेवी व गांधीवादी विचारक स्व. भाई द्वारको सुंदरानी के अस्थि का विसर्जन शुक्रवार को पटना में गंगा में किया गया। उनके अस्थि को दो अन्य जगहों यथा वाराणसी और इलाहाबाद में भी विसर्जन किया जाएगा।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Fri, 02 Apr 2021 05:26 PM (IST) Updated:Fri, 02 Apr 2021 05:26 PM (IST)
Bihar: गांधीवादी सुंदरानीजी की अस्थियों का गंगा में हुआ विसर्जन, दशकर्म से पहले बन जाएगा स्मारक
सुंदरानीजी की अस्थियों का संचय करते स्वजन व अन्य। जागरण।

जागरण संवाददाता, बोधगया (गया)। समाजसेवी व गांधीवादी विचारक स्व. भाई द्वारको सुंदरानी के अस्थि का विसर्जन शुक्रवार को पटना में गंगा में किया गया। उनके अस्थि को दो अन्य जगहों यथा वाराणसी और इलाहाबाद में भी विसर्जन किया जाएगा। शुक्रवार को आश्रम परिसर में दाह संस्कार किए स्थल से अस्थि का संचय आश्रम की व्यवस्थापिका बिमला बहन व स्व. सुंदरानी जी के भतीजे पिंटू सुंदरानी ने पुरोहितों के मंत्रोच्चार के बीच सनातन रीति रिवाज से अग्नि को शांत कर किया।

मिट्टी के तीन पात्र में अलग-अलग अस्थि का संचय किया गया। उसके बाद पिंटू सुंदरानी आश्रम के कर्मी देवनंदन शर्मा के साथ अस्थि को लेकर पटना में विसर्जन करने के लिए रवाना हो गए थे। जहां गंगा में अस्थि अवशेष को विसर्जित किया। स्थानीय विधायक कुमार सर्वजीत ने बताया कि स्व. सुंदरानी जी के अस्थि का इलाहाबाद और वाराणसी में भी विसर्जन दशकर्म से पहले किया जाएगा। साथ ही दशकर्म कार्यक्रम से पहले उनके स्मारक का निर्माण कार्य भी पूर्ण कर लिया जाएगा। स्मारक का निर्माण कार्य शनिवार से शुरू होने की संभावना है। स्मारक निर्माण पूर्ण होने के बाद स्थल पर शेड लगाकर स्व. सुंदरानी जी का प्रतिमा स्थापित किया जाएगा। बता दें कि गांधीवादी विचारधारा के महापुरुष व जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित भाई द्वारको सुंदरानी का मंगलवार की रात पटना के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था।

उनके पार्थिव शरीर काे आश्रम परिसर स्थित नेत्र ज्योति आंख अस्पताल के हॉल में रखा गया था। जहां दो दिनों तक उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा। गुरुवार की शाम राजकीय सम्मान के साथ समन्वय आश्रम परिसर में उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया था। शुक्रवार को आश्रम परिसर में सन्नाटा पसरा रहा। इक्का-दुक्का स्थानीय लोग बिमला बहन का कुशल क्षेम पूछने पहुंच रहे थे। लेकिन सबकी निगाह सुंदरानी जी के शयन कक्ष की जा रहा था। शयन कक्ष का दरवाजा खुला था।

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