रोहतास में कोरोना संक्रमित 23 सौ मरीजों के लिए महज तीन एंबुलेंस, ऑटो बन रहा लोगों का सहारा

रोहतास जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्‍या की तुलना में एंबुलेंस की घोर कमी है। वर्तमान में संक्रमित 23 सौ मरीजों की संख्‍या के आगे महज तीन एंबुलेंस हैं। ऐसे में कोरोना मरीजों को अस्‍पताल पहुंचाना हो या शव को श्‍मशान ऑटो वाले काम आ रहे हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sat, 01 May 2021 11:58 AM (IST) Updated:Sat, 01 May 2021 11:58 AM (IST)
रोहतास में कोरोना संक्रमित 23 सौ मरीजों के लिए महज तीन एंबुलेंस, ऑटो बन रहा लोगों का सहारा
मरीज को ऑटो से लेकर अस्‍पताल पहुंचे स्‍वजन। जागरण

सासाराम (रोहतास), जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने जहां अपनों को भी दूर कर दिया है वहीं संक्रमित मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए भी एंबुलेंस कम पड़ गए हैं। ऐसे में टेंपो चालक सहारा बने हुए हैं। मरीजों को लाने से ले शव को श्मशान घाट तक पहुंचाने में ये टेंपो चालक ही काम आ रहे हैं। सरकारी स्तर पर 23 में से महज तीन एंबुलेंस को ही कोरोना मरीजों के लिए लगाया गया है। येे जिले के लगभग 23 सौ कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए नाकाफी हैं।

मुंहमांंगा पैसा वसूलते हैं एंबुलेंस चालक  

मरीजों को घर से अस्पताल और एक अस्पताल से दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट कराने के लिए मरीजों के तीमारदार प्राइवेट एंबुलेंस के लिए भी मुंह मांगे दाम देने को तैयार हैं, लेकिन उन्हें प्राइवेट एंबुलेंस भी समय पर नहीं मिल पा रही है। ऐसे में मरीज अपनों की जान बचाने के लिए खुद की परवाह किए बिना उन्हें अपने निजी वाहनों या ऑटो से ही लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। मुफस्सिल थाना क्षेत्र के चिंतावनपुर से 50 वर्षीय कुंती देवी की तबियत ज्यादा खराब होने पर स्‍वजनों ने एम्बुलेंस के टोल फ्री नंबर पर कॉल किया। काफी देर तक कोशिश करने के बाद भी कॉल नहीं लगा तो मजबूरी में ऑटो से मरीज को सदर अस्पताल लाना पड़ा।

जान पर खेलकर अस्‍पताल जाने की मजबूरी  

दूसरी ओर शिवसागर थाना क्षेत्र के मोजरी से अपने भाई को इलाज के लिए लेकर सदर अस्पताल पहुंचे विकास कुमार एंंबुलेंस ना मिलने से दुखी दिखे। इनके भाई 36 वर्षीय मुकेश कुमार को आज अचानक सांस लेने में काफी तकलीफ होने लगी। इलाज के लिए स्थानीय निजी क्लीनिक में स्वजनों ने उन्हें भर्ती कराया। लेकिन डॉक्टरों ने सदर अस्पताल जाने की सलाह दी। इसके लिए कई एंबुलेंस चालकों से संपर्क किया गया लेकिन अधिक किराये की मांग की वजह से मरीज को ऑटो से ही लेकर 20 किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचना पड़ा। जबकि ऐसी स्थिति में मरीज को ऑक्सीजन की सख्त आवश्यकता थी। कोरोना से गंभीर रूप से पीड़ित या अन्य गंभीर मरीज भी अब एम्बुलेंस की राह ताकने के बजाय बिना समय गंवाए ऑटो या अन्य साधनों से अस्पताल पहुंच रहे हैं।  स्‍वजन बताते हैं कि एंबुलेंस न तो टॉल फ्री नंबर पर मिल रहा है न अधिकारियों व चिकित्सकों के यहां गुहार लगाने पर। ऐसे में उनके लिए टेंपो चालक उनके लिए किसी देवदूत से कम नहीं। कोविड मरीजों के पास कोई अपना भी नहीं पास पहुंच रहा है ऐसे में टेंपो चालक ही मरीज व शवों को पहुंचाने के लिए आगे आ रहे हैं।

परेशानी तो हो ही रही है- सिविल सर्जन 

सिविल सर्जन डॉ सुधीर कुमार कहते हैं कि स्वास्थ्य विभाग के पास  जिले में 23 एंबुलेंस मौजूद हैं। उनमें से तीन को डेडिकेटेड कोविड केयर के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा कोविड को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी अपने स्तर से दो अतिरिक्त एम्बुलेंस की व्यवस्था की है। सभी एंबुलेंस दिन रात मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं। मरीजों की तादाद बढ़ने से सभी को अस्पताल लाने व पहुंचाने में निश्चित रूप से परेशानी हो रही है। कई लोग अपने निजी वाहन या टेंपों सेे अस्पताल पहुंच रहे हैं। अभी भी जिले में लगभग 23 सौ सक्रिय मरीज हैं जिनका इलाज अस्पतालों व घरों में हो रहा है।

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