गुड्डू बाबा ने लावारिस मृतकों के मोक्ष की कामना से किया सीताकुंड में पिडदान

गया। दुनिया में मोक्षभूमि गयाजी की प्रसिद्धि है। यही कारण है कि देश-विदेश से पूर्वजों के मोक्ष की कामना के लिए पितृपक्ष में गयाजी पिडदान करने के लिए श्रद्धालु आ रहे हैं। अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पिडदानी आते है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी आते है जिनका इस संसार में कोई नहीं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 03 Oct 2021 10:19 PM (IST) Updated:Sun, 03 Oct 2021 10:19 PM (IST)
गुड्डू बाबा ने लावारिस मृतकों के मोक्ष की कामना से किया सीताकुंड में पिडदान
गुड्डू बाबा ने लावारिस मृतकों के मोक्ष की कामना से किया सीताकुंड में पिडदान

गया। दुनिया में मोक्षभूमि गयाजी की प्रसिद्धि है। यही कारण है कि देश-विदेश से पूर्वजों के मोक्ष की कामना के लिए पितृपक्ष में गयाजी पिडदान करने के लिए श्रद्धालु आ रहे हैं। अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पिडदानी आते है। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी आते है जिनका इस संसार में कोई नहीं। इसी क्रम में रविवार को फल्गु नदी पूर्वी तट पर स्थित सीताकुंड पिडवेदी पर गंगा बचाव अभियान के संयोजक विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा ने सामूहिक पिडदान किया। लावारिस मृत आत्माओं को शांति व मोक्ष मिलने के लिए प्रार्थना की। कर्मकांड की विधि पुरोहित नित्यानंद पांडे ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ करा रहे थे। वहीं, कर्मकांड की विधि गुड्डू बाबा के साथ गंगा बचाव अभियान के सचिव रोमा ठाकुर भी कर रहे थे।

गुड्डू बाबा ने बताया कि 80 हजार लावारिस मृतकों की आत्मा की शांति एवं मोक्ष को लेकर पिडदान कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि 1998 से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहा हूं। गंगा बचाव अभियान का प्रारंभ इसी वर्ष से प्रारंभ किया था। पटना स्थित पटना मेडिकल कालेज सह अस्पातल के पीछे कई लावारिस लाशें गंगा नदी मिली थीं। इसे देखकर मन विचलित हो उठा। उसके बाद शवों का अंतिम संस्कार का कार्य शुरू कर दिया गया। एक सप्ताह पहले गंगा बचाव अभियान के तहत पटना में गंगा नदी के तट पर काम रहे थे। मन में कुछ उथल-पथल सा लग रहा था। शांति नहीं मिल रही थी। तभी अखबार में पढ़ा की गया में पितृपक्ष चल रहा है, जहां पिडदान करने से मृतकों की आत्मा को शांति मिलती है। इसी के तहत गया में 80 हजार लावारिस मृतकों के मोक्ष के लिए पिडदान कर रहा हूं। कर्मकांड करने से मन हलका लग रहा है। ऐसा लग रहा है कि लावारिस मृतकों को मोक्ष मिल गया है। कर्मकांड में सहयोग नंदकिशोर झा, प्रमोद कुमार, राज गौतम, विशाल भूषण आदि कर रहे थे।

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24 साल बाद त्याग दी बाल और दाढ़ी

विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा ने 24 साल बाद सीताकुंड स्थित फल्गु नदी में बाल और दाढ़ी का त्याग कर दिया। उन्होंने कहा कि गंगा बचाव अभियान के प्रारंभ होने के बाद से बाल और दाढ़ी नहीं कटाए थे। 24 साल के बाद फल्गु नदी में बाल और दाढ़ी को त्याग कर रहा हूं। क्योंकि लावारिस मृतकों की आत्माओं से मुझे अपनापन का आभास है।

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