अच्छी खबर: गया के नक्सल क्षेत्र के फूस के घरों में रहने वाली महिलाएं सामूहिक खेती कर बनी स्वाबलंवी
गया जिला मुख्यालय से करीब 95 किमी दूर नक्सल प्रभावित डुमरिया के नारायणपुर पंचायत के सलइटाड़ एक गांव है। जंगल पहाड़ से घिरे इस गांव में करीब सौ घर फूस के बने हैं। यहां के लोगों का जीने का मुख्य आधार खेती है।
जागरण संवाददाता, मानपुर (गया)। गया जिला मुख्यालय से करीब 95 किमी दूर नक्सल प्रभावित डुमरिया के नारायणपुर पंचायत के सलइटाड़ एक गांव है। जंगल पहाड़ से घिरे इस गांव में करीब सौ घर फूस के बने हैं। यहां के लोगों का जीने का मुख्य आधार खेती है। लेकिन पुंजि के अभाव में यहां लोग फसल अच्छे ढंग से उगा नहीं पाते थे। जिसके कारण इनकी आथिॅक स्थिति अच्छी नहीं थी।
वर्ष 2017 में एक स्वयं सेवी संस्था गांव में पहुंची। वहां 12 महिलाओं का एक समूह बनाया गया। प्रतिमाह 40 रुपया बचत करना शुरु किए। फिलहाल महिलाओं के पास करीब 23 हजार की राशि जमा हो गई। समूह के महिलाओं की आथिॅक स्थिति अच्छी हो इसके लिए समन्वय तीर्थ संस्था के लोगों ने सामुहिक खेती करने का सुझाव दिया। इसके लिए समूह की महिलाओं को 15 हजार रुपए की सहायता मिजेरियर के सहयोग से संस्था ने वर्क्ष 2020 में की। जिससे महिलाएं एक एकड़ भूमि में धान की फसल लगाई। फसल के बेहतर उपज देख महिलाओं का हौसला और बुलंद हो गया । फिर उसी भूमि में महिलाएं गेहूं और साग सब्जी लगाई हैं।
फसल काफी अच्छे हैं। बेहतर उपज होने का अनुमान है। रामरती देवी, बुधवा देवी, रीता देवी आदि ने बताया कि समन्वय तीथ संस्था के पहल से आज हमलोगों की आथिक स्थिति अच्छी हो गई है। सामुहिक खेती से भी हमलोगों को अच्छे फायदे हैं। समुह में हर समय बचत पैसा जमा रहता है। जो भी महिलाएं पैसा लेते उन्हें एक प्रतिशत व्याज देना पड़ता है। गांव में किसी का तबियत खराब होने या बेटी की शादी में पैसा की जरूरत पड़ती तो समुह की महिलाएं मदद करती हैं।