अतिक्रमण से कराह रही गोखुला नदी, बने खेत तो कहीं मकान

फोटो- -जगह-जगह अतिक्रमण से सिमट गया दायरा दो सौ फीट चौड़ी रही नदी अब रह गई सौ फीट -झारखंड की बतीसी नदी से निकली है गोखुला नदी प्रशासनिक उदासीनता की हुई शिकार -ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी नहीं हटा अतिक्रमण बरसात के दिनों में निरर्थक बहता पानी ----------

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 May 2020 05:45 PM (IST) Updated:Mon, 25 May 2020 05:45 PM (IST)
अतिक्रमण से कराह रही गोखुला नदी, बने खेत तो कहीं मकान
अतिक्रमण से कराह रही गोखुला नदी, बने खेत तो कहीं मकान

अमित कुमार सिंह, बाराचट्टी

ग्रामीणों की कई बार की शिकायतों के बाद भी बाराचट्टी प्रखंड की गोखुला नदी अतिक्रमण मुक्त नहीं हो सकी। हाल यह है कि स्थानीय लोग शिकायत करते हैं और स्थानीय प्रशासन उसे नजरंदाज कर कुंडली मारकर बैठा है। अतिक्रमण के कारण जिस नदी की चौड़ाई कभी दो सौ फीट तक होती थी, वह अब सिमट कर सौ फीट तक रह गई है। कारण यह कि नदी में अधिकाश जगहों पर खेत बनाकर क्षेत्रीय किसान खेती कर रहे हैं। कई लोगों ने तो नदी की जमीन पर ही मकान तक खड़े कर लिए हैं तो कुछ ने चारदीवारी बना कब्जा जमा लिया है। वहीं प्रखंड मुख्यालय के पीछे सरकारी गोदाम व भवन भी नदी में राज्य सरकार की भूमि का नाम देकर बनाया गया है। इन कारणों से नदी अतिक्रमण के बोझ से कराह रही है। इसकी चौड़ाई दिन-ब-दिन सिमटती जा रही है। गोखुला नदी का उद्गम झारखंड की बतीसी नदी से माना जाता है। नदी पर बना बाध तो मोहनपुर की चार पंचायतों में होने लगी खेती :

गोखुला नदी में बाराचट्टी के निकट बाध का निर्माण हो जाने के बाद इससे नहर विभाग ने नहर निकाला है। बाध में जमे पानी से मोहनपुर प्रखंड के बुमुआर, डेमा, लाडू, सिंदुआर और बाराचट्टी प्रखंड का पदुमचक व काहुदाग गाव के खेतों का पटवन हो रहा है। उक्त पंचायत व गाव के किसानों को पानी की चिंता अब नहीं होती है। जबकि पहले बिना पानी के धान की फसलें तबाह हो जाती थीं। बीते वर्ष ही विभाग ने नहर का मरम्मत कार्य भी कराया है, इससे उपरोक्त गांवों के खेतों तक पानी पहुंच रहा है। बना बांध तो आसपास के गांवों में भी सुधर गया जलस्तर :

नेता व किसान बढ़न यादव कहते हैं, बाध के बन जाने के कारण इसके आसपास के क्षेत्रों में भूमिगत जलस्तर में काफी हद तक सुधार आया है। वे बताते हैं कि गोखुला नदी में कदल, बरसुदी, डाढो, मनवाछोर के जगलों व पहाड़ों से बरसात का पानी आता है। ऊपर में जगह-जगह पर अगर चेकडैम का निर्माण हो जाए तो कभी भी नदी में पानी नहीं सूखेगा और भूजल स्तर में भी सुधार आ जाएगा। नदी में बरसात का ही पानी आने से वह निरर्थक बह जाता है। अगर उस पानी को रोकने के लिए बांध बन जाए तो ग्रामीणों को काफी सहूलियत होगी। नदी से हट जाए अतिक्रमण तो ज्यादा होगा जल का ठहराव :

पूर्व पंचायत समिति सदस्य नवल गुप्ता बताते हैं, गोखुला नदी ने अतिक्रमण के कारण अब नाले का रूप ले लिया है। अधिकाश जगहों पर कब्जा कर खेत बना लिया गया है। कहीं-कहीं पर मकान बनाकर भी लोग रह रहे हैं। वह कहते हैं, हम लोगों ने नदी को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए कई बार अंचल पदाधिकारी व अनुमंडल पदाधिकारी के यहा आवेदन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर नदी की नापी कराकर उससे अतिक्रमण हटा दिया जाए तो आने वाले पानी का ठहराव ज्यादा होगा। नदी में रुका पानी नहर के जरिये किसानों के खेतों तक पहुंच सकेगा। नवल बताते हैं, पहले नदी की चौड़ाई करीब तीन जरीब (198 फीट) तक थी, पर अब डेढ़ जरीब भी मुश्किल से रह गई है। सभी नदियों की कराएंगे नापी, अतिक्रमण हटा होगी कार्रवाई :

गोखुला नदी के अतिक्रमित होने की शिकायत हमसे किसी ने नहीं की है। अब मेरे संज्ञान में मामला आया है। जल्द ही प्रखंड की सभी नदियों की नापी कराई जाएगी। इसके लिए अनुमंडल पदाधिकारी व जिला पदाधिकारी से मार्गदर्शन मांगेंगे। उनका निर्देश मिलते ही नापी शुरू होगी। फिर अतिक्रमण हटाने के साथ अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। प्राथमिकी भी दर्ज कराई जाएगी।

-कैलाश महतो, अंचल पदाधिकारी, बाराचट्टी

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