गया: शेरघाटी में प्राइवेट अस्पताल का जघन्‍य कुकृत्‍य, रुपये नहीं देने पर थमा दिया बच्‍चे का डेड बाडी

बिहार के गया जिले के शेरघाटी में एक प्राइवेट अस्‍पताल का कुकृत्‍य प्रकाश में आया है। यहां डॉक्‍टरों छह माह के बच्‍चे को कई दिनों से आइसीयू में रखकर पिता से पैसे लेते रहे। जब पिता बच्‍चे को दिखाने की जिद पर अड़ा तो बच्‍चे का मृत शरीर दे दिया।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 07:21 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 09:32 PM (IST)
गया: शेरघाटी में प्राइवेट अस्पताल का जघन्‍य कुकृत्‍य, रुपये नहीं देने पर थमा दिया बच्‍चे का डेड बाडी
कंपाउडर ही चलाते हैं यह हॉस्पिटल, सांकेतिक तस्‍वीर।

शेरघाटी (गया), संवाद सहयोगी। शहर के नई बाजार के समीप एक प्राइवेट हॉस्पिटल का जघन्‍य कुकृत्‍य सामने आया। हॉस्पिटल गरीब पिता से बच्‍चे के इलाज के नाम पर रुपये ठगता रहा, जब पिता अपने जिगर के टुकड़े को दिखाने की मांग पर अड़ गया तो सच्‍चाई सामने आ गई। दरअसल, बच्‍चे की मौत के बाद भी उसके इलाज के नाम पर हॉस्पिटल ने 21 हजार रुपये और जमा करने को कहा। रुपये नहीं देने पर छह माह के एक बच्चे की डेड बाडी थमा दी। उसके बाद स्वजनों ने जमकर हंगामा किया। हंगामा देख बिना डिग्री वाले डॉक्टर और उनके सहयोगी क्लिनिक छोड़कर भाग निकले।

बच्‍चे को दिखाने से मना कर दिया

मृत बच्‍चे के पिता गुरुआ प्रखंड के अमीरगंज निवासी अनिल कुमार ने बताया कि मेरा छह माह का बेटा अंकित दस दिनों से बुखार से पीड़ित था। गुरुआ के एक निजी क्लिनिक में इलाज कराया। वहां से डॉक्टर ने रेफर कर शेरघाटी भेज दिया। मैंने बच्चे को 14 जून को प्राइवेट हॉस्पिटल में लाकर दिखाया। डॉक्टर ने आइसीयू में भर्ती करने को कहा और छह हजार रुपये जमा कराया। कुल मिलाकर हमसे अब तक 17 हजार पांच सौ रुपये इलाज के नाम पर लिया जा चुका है। रविवार की रात हमने हॉस्पिटल के स्टाफ से बच्चा को दिखाने को कहा तो हॉस्पिटल के स्टाफ ने दिखाने से साफ मना कर दिया और कहा कि बच्चा अभी सो रहा है। अभी वह आइसीयू में ही रहेगा।

कंपाउंडर चलाते हैं यह हॉस्पिटल

सोमवार सुबह हॉस्पिटल के स्टाफ द्वारा फिर 21 हजार रुपया जमा करने को कहा गया, तो हमने फिर बच्चा को दिखाने के लिए कहा। इसपर अस्पताल कर्मियों ने कहा कि सबसे पहले पैसा जमा करो तब ही बच्चा को दिखाएंगे। जब हमने पैसा जमा नहीं किया तो कुछ देर बाद मेरे बच्चे को दे दिया और यहां से जल्द ले जाने को कहा। जब अपने बच्चे को देखा तो आभास हुआ की मेरा बच्चा मर चुका है। उसकी आंखें बंद थी और हाथ पांव सब ठंडा हो चुका था। जब हमलोग हंगामा करने लगे तो आसपास के लोग जुट गए और हॉस्पिटल के सभी स्टाफ भाग गए। आसपास के लोगों से हमें पता चला कि इस हॉस्पिटल में कोई भी डॉक्टर नहीं है केवल कंपाउंडर के बदौलत ही हॉस्पिटल चलता है। ग्रामीण क्षेत्र के प्रैक्टिशनर कमीशन के चक्कर में इस हॉस्पिटल में मरीज को भेजते हैं। उसके बाद हमने स्थानीय शेरघाटी थाना में इसकी शिकायत की है।

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