Gaya PitruPaksha: गया में पितरों को अर्पित पिंडों से बन रही जैविक खाद
पितृपक्ष में पिंडदानी द्वारा बड़ी मात्रा में अर्पित पिंड इकट्ठा हो जाते हैं। पिंडों को नगर निगम अक्षयवट पिंडवेदी के पास ले जाकर जैविक खाद तैयार कर रहा है। मान्यता है कि पिंड प्रेतात्मा का आहार होता है। इसी उद्देश्य से श्राद्धकर्म में पिंड अर्पित किया जाता है।
गया, जागरण संवाददाता। श्राद्धकर्म में पिंड का काफी महत्व है। मान्यता है कि पिंड प्रेतात्मा का आहार होता है। इसी उद्देश्य से श्राद्धकर्म में प्रेतात्मा को पिंड अर्पित किया जाता है। पितृपक्ष में बड़ी संख्या में पिंडदानी कर्मकांड करते हैं, बड़ी मात्रा में पिंड इकट्ठा हो जाते हैं। पिंडों को नगर निगम अक्षयवट पिंडवेदी के पास ले जाकर जैविक खाद तैयार कर रहा है।
प्रत्येक दिन तैयार हो रही पांच सौ किलोग्राम खाद :
अक्षयवट पिंडवेदी पर पिंड से जैविक खाद बनाने के लिए दो मशीनें लगी हैं। यहां हर दिन पांच सौ किलोग्राम जैविक खाद बन रही है। पिंडवेदी पर पिंड को इकट्ठा करने के लिए दस सफाईकर्मियों को लगाया गया है। कर्मकांड संपन्न होने के बाद सफाईकर्मी पिंड को डस्टबिन में उठा लेते हैं। इसके बाद डस्टबिन से पिंडनिकालकर मशीन में डालते हैं। मशीन में लगा डिब्बा पिंड से भर जाने के बाद चालू कर दिया जाता है, जिससे खाद बनकर निकलने लगती है।
पैकिंग के लिए भेजी जा रही नैली डंपिंग ग्राउंड :
अक्षयवट पिंडवेदी पर मशीन से तैयार जैविक खाद को पैकिंग के लिए नैली स्थित नगर निगम के डंपिंग ग्राउंड पर भेजा जा रहा है। जहां सूखने के बाद जैविक खाद को पैक किया जाएगा। मशीन से खाद बनने के बाद टेंपो से डंपिंग ग्राउंड में पहुंचाया जा रहा है। दरअसल, सुखाने के लिए अक्षयवट पिंडवेदी के पास पर्याप्त जगह नहीं है।
श्मशान घाट पर बंद पड़ी हैं तीन मशीनें : कचरे व पिंड से जैविक खाद बनाने के लिए नगर निगम ने पांच मशीनों की खरीदारी तीन साल पहले की थी, तीन मशीन विष्णुपद श्मशान घाट और दो मशीन अक्षयवट पर लगाई गई थी, लेकिन पितृपक्ष में दो मशीनों से ही जैविक खाद बन रही है। श्मशान घाट पर लगीं तीन मशीनें बंद पड़ी हैं।
क्या होता है पिंड ::
जौ का आटा, चावल, तिल सहित अन्य विभिन्न सामग्री से बनाया गया पिंड पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदानियों की ओर से गयाधाम की विभिन्न पिंडवेदियों पर अर्पित किया जाता है। नगर निगम के सहायक अभियंता शैलेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि अक्षयवट ङ्क्षपडवेदी पर लगीं दो मशीनों से ङ्क्षपड से जैविक खाद तैयार की जा रही है। पितृपक्ष तक खाद बनाने का काम चलेगा। प्रत्येक दिन पांच सौ किलोग्राम जैविक खाद बन रही है।