Gaya PitruPaksha Mela: मोक्ष के लिए गयाजी में पिंडदान जरूरी , जानिए पिंडदान का महत्‍व

मान्यता है कि एक बार जो व्यक्ति गया में आकर पिंडदान कर देता है। उसे फिर कभी पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध या पिंडदान करने की जरूरत नहीं पड़ती है। ज्यादा लोगों की यह चाहत होती है कि मृत्यु के बाद उनका पिंडदान गया में हो।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Wed, 08 Sep 2021 11:37 AM (IST) Updated:Wed, 08 Sep 2021 11:37 AM (IST)
Gaya PitruPaksha Mela: मोक्ष के लिए गयाजी में पिंडदान जरूरी , जानिए पिंडदान का महत्‍व
गयाजी में पिंडदान बेहद महत्‍वपूर्ण माना जाता, सांकेतिक तस्‍वीर।

गया, जागरण संवाददाता। सनातन धर्म में मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है। पितृपक्ष के दौरान पितरों को पिंडदान एवं तर्पण इस लिए किया जाता है कि ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले और उनकी गति हो सके। मान्यता है कि एक बार जो व्यक्ति गया में आकर पिंडदान कर देता है। उसे फिर कभी पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध या पिंडदान करने की जरूरत नहीं पड़ती है। ज्यादा लोगों  की यह चाहत होती है कि मृत्यु के बाद उनका पिंडदान गया में हो। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि गया में श्राद्ध करवाने से व्यक्ति की आत्मा को निश्चित तौर पर शांति मिलती है।

पुराणों में उल्लेख है पिंडदान का

गया श्राद्ध का महत्व बहुत अधिक है। पिंडदान के महत्व के बारे में कई पुराणों में उल्लेख है। जिसमें गरुड पुराण, वायु पुराण, पद्म पुराण एवं श्रीमद् भागवत पुराण है। श्रीमद् भगवत पुराण में कहा गया है कि गया में पिंडदान होने से पितरों को इस संसार से मोक्ष मिलती है। गरुड पुराण में मुताबिक गया जाने के लिए घर से निकलते ही पितरों के लिए स्वर्ण की ओर जाने की सीढ़ी बनने लगताी है।

प्राचीनकाल से होते आ रहा पिंडदान

पिंडदान अपने पूर्वजों की मोक्ष हेतु किया जाने वाला दान है। पिंडदान का कार्य प्राचीनकाल से होते आ रहा है। जबकि पितृपक्ष में पिंडदान का काफी महत्व है। पिड़दान तीन दिन, सात दिन, 15 दिन एवं 17 दिनों को होता है। पिंडवेदियों पर जाकर कर्मकांड करते है।

मनीलाल बारिक, गयापाल पुरोहित ने कहा कि पितृपक्ष मेला का आयोजन कोरोनाकाल नहीं में होना चाहिए। लेकिन पिंडदान से पिंडदानियों को दूर नहीं करना चाहिए। क्योंकि पितरों के मोक्ष के लिए श्राद्धकर्म बहुत जरुरी है।

प्रेमनाथ टइया, गयापाल पुरोहित का कहना है कि प्राचीनकाल से पितृपक्ष मेला का आयोजन होते आ रहा है। इस वर्ष भी मेला का आयोजन होना चाहिए। नहीं तो सनातन धर्म के लोगों को आस्था पर ठेस पहुंचेगा। कोरोना नियम के तहत मेला का आयोजन शासन-प्रशासन को करना चाहिए।

राम बारिक, गयापाल पुरोहित ने कहा कि पितृपक्ष पितरों को पर्व है। पितृपक्ष में पिंडदान करने से पितरों के मोक्ष की प्राप्ति आसानी से होती है। ऐसे में मेला का आयोजन हरहाल में होना चाहिए। पितृपक्ष मेला का आयोजन नहीं होने से कारोबार पर बड़ा असर पड़ता है।

सुदामा दुबे,गयापाल पुरोहित ने कहा कि पितृपक्ष मेला का आयोजन हरहाल में होना चाहिए। कोरोनाकाल में जब चुनाव तथा नेताओं की सभा हो सकती है तो पिंडदान क्यों नहीं? कोरोना गाइडलाइन के तहत मेला का आयोजन होना चाहिए।

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