गांव में हो छोटे और मंझोले उद्योगों की स्थापना तो स्‍वत: रुक जाएगा पलायन, गांधीजी का यही था सपना

मगध विश्‍वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें वक्‍ताओं ने ग्राम स्‍वराज की गांधी जी की अवधारणा पर प्रकाश डाला। कहा कि गांव में छोटे एवं मझोले उद्योगों की स्‍थापना होनी चाहिए। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा तो पलायन पर रोक लगेगी।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 02:35 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 02:35 PM (IST)
गांव में हो छोटे और मंझोले उद्योगों की स्थापना तो स्‍वत: रुक जाएगा पलायन, गांधीजी का यही था सपना
सेमिनार का दीप प्रज्‍वलित कर उद्घाटन करते अतिथि। जागरण

जागरण संवाददाता, बोधगया। महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की कल्पना में गांव का चहुंमुखी विकास समाहित था। वे अपवित्र साधन को साध्य बनाकर विकास नहीं चाहते थे। गांधी के विकास की अवधारणा में सच्चा संकल्प समाहित था, जो प्राकृतिक साधनों के उपयोग में उसके पोषण और संरक्षण से आच्छादित हो।

गरीबों के मुस्‍कान में ईश्‍वर का वास

पत्रकारिता एवं लोक प्रशासन व राजनीति विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में मगध विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेन्द्र प्रसाद ने ये बातें कहीं। उन्होंने गांधीजी के इस मंतव्य का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि गरीबों के मुस्कान में ईश्‍वर का दर्शन होता है। यह उनका अाध्यात्मिक भाव था। गांधी ने राम को राजा के रुप में नहीं परमसत्ता के रुप में स्वीकार किया है। गांधीजी मशीन व यंत्र के विरोधी नहीं थे, लेकिन श्रम की महानता को मानते थे। गांव की संपन्नता और समता के प्रबल पक्षधर थे। गांधी ने अंत्योदय से लेकर सर्वोदय तक की बात कही थी।

राजनैतिक आंदोलन के साथ सामाजिक विकास के लिए किया सतत प्रयास

मुख्य वक्ता दक्षिण बिहार केंद्रीय विवि के प्रो. एसएन सिंह ने कहा कि गांधीजी राजनैतिक आंदोलन के साथ ही सामाजिक विकास के लिए सतत प्रयास किया। छुआछूत, अशिक्षा और स्वास्थ्य के विरुद्ध गांव के लोगों काे जागरुक किया। ग्रामीण बिहार के नये मानदंड तैयार किए जिसमें सबों के विकास की परिकल्पना समाहित थी। विनोवा भावे विवि हजारीबाग के प्रो सीपी शर्मा ने कहा कि यदि छोटे और मंझोले उद्योगों की स्थापना गांव में हो तो पलायन पर रोक लगेगी। गांव अपनी श्रमशक्ति तथा साधन से समृद्धि की ओर अग्रसर होगा। यही कल्पना गांधी के ग्राम सरकार की थी।

गूंजा वैष्‍णव जन तो तेने कहिए....

कार्यक्रम के संयोजक डा. शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी ने आगत अतिथियों का स्वागत करते संगोष्ठी के विषय पर प्रकाश डाले। प्रो एहतेशाम खान ने गांधी के प्रिय भजन की प्रस्तुति सबों के साथ मिलकर दी। प्रो रामविलास सिंह ने विषय प्रवेश कराया। इस मौके पर विभिन्न विभागों के शिक्षक, पत्रकारिता विभाग के राम विजय, उमाशंकर, यादव, राकेश कुमार सिन्हा, सुजीत कुमार, शोधार्थी अंशुमान, शैलेंद्र अशोक अंकित, साखी, किरण, ब्यूटी, पंकज मिश्र, संतोष आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रियंका सिंह व आभार व्यक्त डॉ दिव्या मिश्रा ने की।

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