गया शहर को स्मार्ट सिटी का मिले दर्जा, मांग को लेकर कांग्रेस ने किया प्रदर्शन, संघर्ष समिति बना लड़ेंगे लड़ाई
आखिर कौन ऐसा कारण है कि अभी तक चार फेज में बनाए गए एक सौ स्मार्ट सिटी में बिहार के पटना भागलपुर मुजफ्फरपुर बिहारशरीफ शामिल है परंतु अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विश्व पर्यटन मानचित्र पर स्थान रखने वाला गया शहर को अभी तक स्मार्ट सिटी नहीं बनाया गया।
जागरण संवाददाता, गया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य सह स्मार्ट सिटी बनाओ संघर्ष समिति के संयोजक प्रो. विजय कुमार मिठू ने स्थानीय टावर चौक पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि आखिर कौन ऐसा कारण है कि अभी तक चार फेज में बनाए गए एक सौ स्मार्ट सिटी में बिहार के पटना (Patna), भागलपुर (Bhagalpur), मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur), बिहारशरीफ (Biharsharif) शामिल है, परंतु अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त, विश्व पर्यटन मानचित्र पर स्थान रखने वाला गया शहर को अभी तक स्मार्ट सिटी नहीं बनाया गया।
यह बिहार के अतिप्राचीन शहर होने के साथ यह सड़क, रेल व वायु तीनों मार्गों के जुड़ा,पांच जिलों का प्रमंडलीय मुख्यालय,वर्षो पुराना नगर निगम सहित स्मार्ट सिटी के सभी अहर्ताओं को पूरा करने वाला शहर है। गया शहर उच्च शैक्षणिक संस्थानों का हब, जैसे आईआईएम्, केंद्रीय विश्वविद्यालय, ओटीए, डीआरडीओ, ग्रैंड कार्ड लाइन के राष्ट्रीय स्तर का रेलवे स्टेशन, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, जीटी रोड के कारण गया शहर का देशभर में पहचान है। जहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देश, विदेश के लोग पिंडदान करने, विष्णुपद मंदिर दर्शन करने, तथा भगवान बुद्ध का दर्शन करने बोधगया आते है। इसलिए इस शहर के स्मार्ट सिटी होने से यहां चौहमुखी विकास होगा, आमजन की सुविधा बढ़ेगी।
केंद्रीय शहरी विकास व आवास मंत्री हरदीप सिंह पूरी को इस संबंध में तैयार ज्ञापन ट्विट व ई मेल तथा रजिस्टर्ड डाक के द्वारा भेजा गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी प्रेषित किया गया है। मांग करने वालों में संयोजक प्रो. अरुण कुमार प्रसाद, बाबूलाल प्रसाद सिंह, युगल किशोर सिंह, राम प्रमोद सिंह, टिंकू गिरी, शशि किशोर शिशु, विद्या शर्मा, सकलदेव चंद्रवंशी, शिव कुमार चौरसिया, दामोदर गोस्वामी, विनोद बनारसी, राजेश्वर पासवान, सुरेंद्र सिंह, विनय कुमार सिन्हा, श्रीकांत शर्मा, राम प्रवेश सिंह समेत अन्य नेतागण शामिल है।
गौरतलब है कि पटना शहर को स्मार्ट बनाने की कई योजनाएं अब भी अधर में लटकी हैं। यही हाल भागलपुर, मुजफ्फरपुर और बिहारशरीफ का भी है। इस संदर्भ में कई बार बैठकें हुईं, लेकिन नतीजा सिफर निकला।