गया का गौतम बुद्ध कुष्ठ आश्रम जहां न छत न शौचालय, पेयजल का भी संकट
यहां मामूली बारिश में ही मरीजों के वार्ड से पानी टपकने लगता है। जिसके कारण मरीज बरामदा में रात गुजारते हैं। 12 एकड़ के इस आश्रम में एक भी शौचालय नहीं है। ओपीडी अस्पताल के महिला कर्मियों को सबसे अधिक दिक्कत होती है।
गया, जागरण संवाददाता। शहर के छोटकी नवादा स्थित गौतम बुद्ध कुष्ठ आश्रम सह ओपीडी अस्पताल की स्थिति दिनोंदिन और खराब होती जा रही है। अभी बरसात के सीजन में यहां रहने वाले कुष्ठ मरीजों की रात मुश्किल से कट रही है। 13 वार्ड के इस बड़े आश्रम में शायद ही कोई ऐसा कमरा हो जाएं सुरक्षित रहा जा सके। थोड़ी सी बारिश से ही पूरा वार्ड का कमरा झरना बन जाता है। यहां रहने वाले मरीजों का सामान ङ्क्षभग जाता है। किसी तरह से वह बरामदा में आकर रात गुजारते हैं। वर्षों से यहां जीवन गुजार रहे राजेंद्र राम, राजेश्वर ङ्क्षसह, घुरी मांझी व अन्य बताते हैं कि पानी पड़ते ही कमरा चूने लगता है। अनेकों बार अधिकारी आए। उनसे तकलीफ बताई। लेकिन अभी तक किसी ने सुध नहीं ली। यहां की एक प्रमुख समस्या शौचालय को लेकर भी है। करीब 12 एकड़ के इस कुष्ठ आश्रम सह ओपीडी चिकित्सालय में एक भी शौचालय नहीं है। कुष्ठ मरीज इधर-उधर खुले में शौच करते हैं। अस्पताल के कर्मियों को सबसे अधिक परेशान होना पड़ता है। महिला कर्मी स्वास्थ्य महकमा के वरीय अधिकारियों से इस ओर अविलंब ध्यान देने की मांग करती हैं।
बगैर बाउंड्री के असुरक्षित है पूरा आश्रम, दिन में भी पॉकेट साफ कर जाते हैं चोर
अंग्रेजी शासन काल 1814 में बने इस बहुप्रतिष्ठित कुष्ठ आश्रम को देखने वाला कोई नहीं है। वरना आज इसकी हालत ऐसी नहीं होती। आए दिन यहां अतिक्रमण भी हो रहा है। जगह-जगह चाहरदिवारी टूटी हुई है। खुले में मवेशी इधर-उधर घुमते रहते हैं। बाहरी लोगों का भी बेरोकटोक जमावड़ा यहां देखने को मिल सकता है। कुष्ठ मरीज बताते हैं कि रात में या सन्नाटे में उनके कमरे से जरूरी समान लेकर चोर भाग जाते हैं। चोरों का हौसला यहां तक बुलंद है कि गहरी नींद में सोए मरीज की जेब से भी रुपए उचक कर भाग जाते हैं।
अभी भर्ती हैं 35 मरीज, दोनों वक्त मिलता है भरपेट खाना
अस्पताल के कर्मियों से मिली जानकारी के मुताबिक यहां अभही 35 मरीज भर्ती हैं। यहां महिलाओं व पुरुषों के रहने के लिए अलग-अलग वार्ड बना हुआ है। लेकिन सभी वार्ड आज की स्थिति में खंडहर ही दिखाई पड़ता है। सरकार की ओर से यहां भर्ती मरीजों को दोनों समय का भरपेट खाना मिलता है। पानी की सुविधा के लिए यहां दो चापाकल हैं। लेकिन चालू हाल में एक ही है। इस चापाकल के पास भी गंदगी है। यहां के कर्मियों ने बताया कि आसपास के लोगों ने नाली इस आश्रम परिसर में खोल दिया है। इससे हर रोज परेशानी है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
गौतम बुद्ध कुष्ठ आश्रम के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रघुराज शर्मा का कहना है कि कुष्ठ आश्रम में बुनियादी सुविधाओं को लेकर कई बार वरीय अधिकारियों को ध्यान दिलाया गया है। इधर, वार्ड की मरम्मत को लेकर नापी बगैरह हुई है। इससे उम्मीद जगी है। यहां शौचालय की बहुत जरूरत है। साथ ही चाहरदिवारी भी ठीक किया जाना है।