अगले वर्ष से औरंगाबाद में भी सबौर सोना धान की मिलेगी खुशबू, 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर में उपज संभावित
किसानों के लिए सुखद समाचार है। अगले वर्ष से जिले में सुगंधित धान सबौर सोना बीआरआर 2177 प्रभेद का बीज मिलने लगेगा। उक्त बातें कृषि विज्ञान केंद्र सिरिस के वैज्ञानिक डा. नित्यानंद ने शनिवार को खेत में धान की फसल की बाली को देखते हुए कहीं।
संवाद सूत्र, अंबा (औरंगाबाद)। जिले के किसानों के लिए सुखद समाचार है। अगले वर्ष से जिले में सुगंधित धान सबौर सोना बीआरआर 2177 प्रभेद का बीज मिलने लगेगा। उक्त बातें कृषि विज्ञान केंद्र सिरिस के वैज्ञानिक डा. नित्यानंद ने शनिवार को खेत में धान की फसल की बाली को देखते हुए कहीं। कहा, सबौर सोना धान की प्रजाति काफी सुगंधित है। इसकी उपज भी काफी अच्छी है। इसकी खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी। सबौर सोना धान की खेती से किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। फिलहाल सबौर सोना धान की खेती पश्चिमी-उत्तरी भारत के राज्यों में खेती हो रही है।
डा. नित्यानंद ने कहा, बिहार के किसान सुगंधित धान में छोटे दाने की प्रभेद जैसे भागलपुर कतरनी, सोनाचूर, चंपारण बासमती, गोविंद भोग, बादशाह भोग, कस्तूरी, राजेंद्र सुहासिनी, सबौर सुरभीत आदि प्रभेद की खेती करते हैं। साथ ही यह प्रजातियां रोग एवं कीट के प्रति बहुत ही संवेदनशील होती हैं। किसान बार-बार इसके विकल्प की बात विभिन्न संगोष्ठी, बैठकों में कृषि वैज्ञानिकों से कर रहे थे। इसी को ध्यान में रखते हुए, वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय, डुमरांव के वैज्ञानिक डा. प्रकाश सिंह एवं उनकी टीम द्वारा एक अत्यधिक सुगंधित एवं अधिक उपज देने वाली प्रजाति का विकास किया गया है। इसका नाम सबौर सोना धान है।
यह अत्यधिक सुगंधित, 52 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज एवं 14 से 15 क्विंटल प्रति बीघा उपज के साथ छोटे पौधे वाली लगभग 105 सेंटीमीटर लंबी, मध्यम अवधि में पक जाने वाली धान की फसल है। इसकी धान का बोआई से पकने की अवधि 130 से 135 दिन, छोटा महीन चावल, प्रति पौधा औसतन 15-16 कल्ले/ जिसमें बालियां लगी रहती हैं। सोना धान प्रभेद में सुगंध का कारण बीएडीएच टू जीन का होना है।
12 जिलों में हुआ है इसका परीक्षण
सोना धान प्रभेद का परीक्षण बिहार के 12 जिलों औरंगाबाद, गया, बक्सर, रोहतास, अरवल, पटना, बेगूसराय, सहरसा, मधेपुरा, भागलपुर, किशनगंज एवं लखीसराय में 125 से ज्यादा उन्नतशील किसानों के खेतों में कृषि विज्ञान केंद्र एवं शोध संस्थानों के माध्यम से किया जा चुका है। इसका उत्पादन औसतन 12 से 15 क्विंटल प्रति बीघा एवं चावल में मीठा सुगंध लगभग हर जिले में मिला है। परीक्षण के तौर पर कृषि विज्ञान केंद्र औरंगाबाद के प्रभारी डा. नित्यानंद प्रभारी के सहयोग से औरंगाबाद के नवीनगर प्रखंड की रामपुर पंचायत में उन्नतशील किसान रामकुमार के एक एकड़ में सबौर सोना धान की खेती की गई।
इसमें इसका उत्पादन लगभग 25 क्विंटल प्रति एकड़ आंका गया है। यह फसल के निरीक्षण के उपरांत अनुमानित की गई है। किसान ने कहा, सबौर सोना धान की बालियां अत्यधिक लंबी 27 से 29 सेंटीमीटर के दाने छोटे, वहीं 5 से 6 मिलीमीटर का, एक बाली में औसतन 270 से 290 दोने भरे हुए हैं। राजेंद्र श्वेता प्रभेद की बाली 22 से 24 सेंटीमीटर लंबी तथा सोनाचूर प्रभेद की बाली 24 से 25 सेंटीमीटर लंबी होती है एवं लगभग डेढ़ सौ से 200 दाने इनमें पाए जाते हैं।
कृषि वैज्ञानिक डा. प्रकाश ने बताया कि सोना धान का चावल एवं भागलपुर कतरनी की तरह कोमल एवं मुलायम तथा सुगंधित होता है। सोना धान में एमाइलाज कंटेंट भी 22 से 23 प्रतिशत के बीच में उपलब्ध है। इससे इस धान का चावल चिपकता नहीं है एवं भरभरा रहता है। इस धान का बीज अगले वर्ष से वनस्पति अनुसंधान केंद्र- धनगाई, कृषि विज्ञान केंद्र-औरंगाबाद एवं वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय-डुमरांव में उपलब्ध रहेगा। आगामी वर्ष में सबौर सोना धान का विमोचन शोध परिषद की बैठक में संभावित है। इसके उपरांत सोना धान का बीज सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में उपलब्ध होगा।