कैमूर में धान के भाव में बिक रहा मवेशियों का चारा

कृषि प्रधान देश में किसानों की हालत ठीक नहीं दिख रही है। कभी कृषि को उद्योग का दर्जा देने की कवायद होती रही।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 05:22 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 05:22 PM (IST)
कैमूर में धान के भाव में बिक रहा मवेशियों का चारा
कैमूर में धान के भाव में बिक रहा मवेशियों का चारा

गया। कृषि प्रधान देश में किसानों की हालत ठीक नहीं दिख रही है। कभी कृषि को उद्योग का दर्जा देने की कवायद होती रही। सरकार आती गई बदलती गई। लेकिन उद्योग का दर्जा कृषि को नहीं मिल सका। जबकि सरकारें किसानों को समृद्धशाली बनाने के लिए नित नए उपाय करने की बात करती है। इसके तहत कृषि को लैपटॉप से जोड़ने की भी योजना धरातल पर आकार ली। लेकिन आज तक किसानों को उनके फसल का ससमय उचित दाम नहीं दिलाया जा सका। खरीफ फसल की कटनी शुरू होते ही धान का भाव गिरना शुरू हो जाता है। जबकि यह ऐसा सीजन है जिसमें किसानों की पूरी अर्थव्यवस्था ही इसी धान के उत्पादन पर टिकी है। बाजार में धान की लिवाली नहीं है।

आढ़तिया धान को उतने ही दाम पर लेने को तैयार हो रहे हैं। जितने में मार्केट में पशुओं का चारा बिक रहा है। यानी नाटी धान नौ सौ रुपये प्रति क्विटल व इतने ही दर पर पुआल की कुट्टी बिक रही है। कुट्टी लेने पर नकद दाम देना है। लेकिन धान दस दिन के उधारी पर मिलेगा। ऐसे हालातों से किसान जुझ रहे हैं। रामगढ़ में एक भी न तो पैक्स कभी धान की खरीदारी शुरू किया है और न ही व्यापार मंडल के द्वारा ही खरीदारी हो रही है। ये लोग अभी अपने ही सरकार पर बकाया की बात कर रहे हैं। शादी विवाह का मौसम शुरू हो गया है। किसानों की इसी आमदनी पर बेटी का हांथ भी पिला करना है। ऐसे में कैसे बेटी व्याही जाएगी यह चिता किसानों को सताने लगी है। ठंड के मौसम में गेहूं भी टूट कर धान के समर्थन मूल्य से काफी कम 14 सौ 50 रुपये प्रति क्विटल बिक रहा है। नाटी का चावल की बात कौन करे मोती धान का चावल 18 सौ रुपये प्रति क्विटल की लिया जा रहा है। उसमें भी खर्चा में। जबकि धान का समर्थन मूल्य ही 1868 रुपये सरकार द्वारा प्रति क्विटल निर्धारित है। इससे भी कम पर चावल बिक रहा है। जो एक सोचनीय विषय है। किसानों की ऐसी दुर्दशा पिछले वर्ष भी नहीं थी। भाव आने के इंतजार में किसान खलिहान में धान रख सुरक्षा कर रहे हैं। इस संबंध में व्यापार मंडल के चेयरमैन हरिद्वार सिंह ने कहा कि कोई लेटर अभी हमलोगों को धान खरीद का नहीं मिला है। जबकि खुद का सीएमआर का लाखों रुपये सरकार पर बकाया है।

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