शराबबंदी कानून का गलत इस्‍तेमाल करने वाले डेहरी थाने के SHO इंस्‍पेक्‍टर महेश कुमार पर एफआइआर

शराबबंदी कानून को हथियार बनाकर दोषी को बचाने और निर्दोष को फंसाने के आरोप में डेहरी थाने के पूर्व थानाध्‍यक्ष सह इंस्‍पेक्‍टर महेश कुमार के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। वे 2019 में डेहरी थाना प्रभारी थे। अभी कैमूर जिला बल में हैं।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 03:22 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 03:22 PM (IST)
शराबबंदी कानून का गलत इस्‍तेमाल करने वाले डेहरी थाने के SHO इंस्‍पेक्‍टर महेश कुमार पर एफआइआर
शराबबंदी का गलत उपयोग करने वाले इंस्‍पेक्‍टर पर एफआइआर। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

संवाद सहयोगी डेहरी ऑनसोन (सासाराम)। शराबबंदी कानून को हथियार बनाकर दोषी को बचाने और निर्दोष को फंसाने के आरोप में डेहरी थाने के पूर्व थानाध्‍यक्ष सह इंस्‍पेक्‍टर महेश कुमार के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। शाहाबाद डीआइजी पी कनन के निर्देश पर डीएसपी मुख्‍यालय बूंदी मांझी ने डेहरी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। वे 2019 में डेहरी थाना प्रभारी थे। अभी कैमूर जिला बल में हैं।

प्राथमिकी के अनुसार, दारोगा देवी सिंह के आवेदन पर डेहरी मुफस्सिल थाने के रहने वाले प्रिंस कुमार और अन्य अज्ञात आरोपियों पर अवैध शराब की खरीद बिक्री का आरोप लगा था। पुलिस को वहां से 27 हजार से ज्यादा प्रिमियम विस्की की बोतलें हुई थीं। पुलिस जांच में यह मामला सही पाया गया। पत्र के अनुसार, मामले के नामजद अभियुक्त ने कोर्ट ने सरेंडर कर दिया। लेकिन डीआइजी की समीक्षा के दौरान जानकारी मिली कि थाना दैनिकी में गलत एंट्री की गई। इसके अलावा एफआइआर और आवेदन की तिथि में भी हेरफेर किया गया है। इसके अलावा प्रिंस कुमार नामक आरोपी को गलत तरीके से फंसाने के लिए झूठी एंट्री की गई है। इसके साथ ही बिहार उत्पाद अधिनियम की धारा-32 को अनदेखा कर परिसर के मालिक को अभियुक्त नहीं बनाया गया है।

इस मामले में मुख्लायल डीएसपी ने घटना के समय डेहरी थाने में एचएचओ के तौर पर पदस्थापित रहे इंस्पेक्टर महेश कुमार के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है। डीआइजी ने  कहा कि इंस्पेक्टर महेश कुमार और पुलिस अवर निरीक्षक देवी प्रसाद  की भूमिका संदिग्ध रही है। थाने में दर्ज सनहा के अनुसार, गोपी बिगहा के रहने वाले जनेश्वर सिंह ने टेलिफोनिक सूचना देकर बताया कि उनके परिसर में अवैध शराब रखी है। सूचना मिलने के बाद पुलिस टीम वहां पहुंची। सनहा में एसएचओ को दिए जानकारी अंकित नहीं है। इसके अलावा शराब के बारे में वरीय अधिकारियों को जानकारी दी गई है। इस संबंध में दर्ज दो सनहा में अलग अलग जानकारी दर्ज है।

इसके अलावा संध्या गश्ती के पदाधिकारी सहायक अवर निरीक्षक को इसके लिए किस माध्यम से बुलाया गया है, इसकी भी जानकारी नहीं दी गई है। इस  मामले में पांच जनवरी 2019 की सुबह केस दर्ज किया गया है। जिसमें  पुलिस कर्मियों ने लिखित आवेदन और जब्‍ती सूची बनाई गई। इसके आधार पर डेहरी थाना में कांड दर्ज किया गया। जांच के दौरान जानकारी मिली कि सनहा में जब्‍ती सूची में प्रसंग कॉलम नहीं भरा गया है। एफआइआर के आवेदन में तिथि अंकित नहीं है।

पत्र में कहा गया कि इसके पीछे मंशा सुविधानुसार तिथि अंकित करना है। एफआइआर दर्ज करते समय ओवरराइटिंग कर तिथि को बदली गई है। इसके अलावा एफआइआर के प्रपत्र में पांच जगहों पर ओवरराइटिंग दिख रही है। कहा गया कि जांच के दौरान जानकारी मिली कि जनेश्वर सिंह पहले से एक मामले में वांछित थे। अधिकारी ने सवाल उठाया है कि इस मामले में उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई। अगर वो घटनास्थल पर मौजूद थे तो जांच में पता चला कि इसमें अभियुक्त जनेश्वर सिंह को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने इस मामले की जांच को संदेहास्पद बताया है।

इस मामले में इस्पेक्टर महेश कुमार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सरकार के महत्वपूर्ण नीतियों की धज्जियां उड़ाई है। इसके अलावा उत्पादअधिनियम को अनदेखा कर जनेश्वर सिंह और उनके परिवार को बचाने और निर्देोष प्रिंस कुमार को इस मामले में अभियुक्त बनाने का प्रयास किया है। इस मामले में इंस्पेक्टर महेश कुमार को गलत जानकारी देने, आवेदन और प्राथमिकी की तिथि गलत एंट्री करने, टेलिफोनिक सूचना की गलत जानकारी देने, निर्दोष प्रिंस कुमार को झूठे मामले में फंसाने और उत्पाद अधिनियम को अनदेखा कर जनेश्वर  सिंह और उनके परिवार को बचाने के आरोप में एफआइआर दर्ज करने का निर्देश पुलिस मुख्लायक के डीएसपी बूंदी मांझी ने दिया था। नगर थानाध्यक्ष चन्द्रशेखर गुप्ता ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज कर अग्रतर करवाई की जा रही है।

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