किसानों को जंगली जानवरों से मिलेगी राहत, वन विभाग ने लगाई गई साउंड एंड लाइट सेंसर डिवाइस
जिला वन पदाधिकारी प्रद्युम्न गौरव ने बताया कि सेंसर सिस्टम से प्रभावित इलाकों में बढ़ी हुई गतिविधि का अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे किसानों को फसल रखवाली में बड़ी राहत मिलेगी। कहा कि वन विभाग द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत एनिडर्स डिवाइस लगाई गई है।
[सतीश कुमार] सासाराम। जंगली जानवरों से फसलों को होने वाली क्षति का खामियाजा किसानों को अब कम भुगतना पड़ेगा। इसके लिए वन विभाग में बड़ी कवायद शुरू की है। जिसके तहत अत्याधुनिक सोलर सिस्टम आधारित म्यूजिक लाइट घाटियों में स्थापित की जा रही है। जिसका प्रायोगिक शुरुआत सासाराम प्रखंड के सिकरियां पंचायत के वन क्षेत्र इलाका में किया गया है। पहाड़ी घाटियों में जंगली जानवरों के साथ-साथ रात्रि चहल कदमी के दौरान यह सोलर आधारित साउंड लाइट सिस्टम सक्रिय हो जा रहा है। पहाड़ी से सटे गांवों में नीलगाय, हिरण समेत अन्य जंगली जानवर फसलों की व्यापक क्षति पहुंचाते हैं।
जिला वन पदाधिकारी प्रद्युम्न गौरव ने बताया कि सेंसर सिस्टम से प्रभावित इलाकों में बढ़ी हुई गतिविधि का अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे किसानों को फसल रखवाली में बड़ी राहत मिलेगी। कहा कि वन विभाग द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत एनिडर्स डिवाइस लगाई गई है। बाघों की गिनती में लगने वाले कैमरा ट्रैप तकनीक का उपयोग करते हुए आइआइटी दिल्ली की टीम द्वारा इस डिवाइस का अविष्कार किया गया है. जिसमें थर्मल कैमरा, ऑटोमैटिक साउंड, लाइट और सेंसर से सुसज्जित यह डिवाइस पूर्णत: सौर ऊर्जा से संचालित होती है. सिर्फ रात्रि के समय एक्टिव होती है। इस डिवाइस के 25 मीटर की परिधि में किसी भी जानवर के आते ही जोर जोर से साउंड और लाइट निकलता है। जिससे जानवर डर कर भाग जाता है। कहा कि वन सीमांत क्षेत्र के किसान अब जाड़े की रात में फसलों की रखवाली करने के लिए घर से बाहर नहीं रहकर अपने परिवार के बीच गुर सकेंगे।
फिलहाल सिकरिया पंचायत मे 10 डिवाइस लगाई गई है। आने वाले समय में पायलट प्रोजेक्ट की सफलता को देखते हुए और वन सीमांत गांवों में लगाई जाएगी। जल संरक्षण की लड़ाई लडऩे वाले उमरेंद्र कुमार सुमन ने वन विभाग की इस पहल के लिए स्थानीय वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रद्युमन गौरव के कार्यों की सराहना की।
ऐसे काम करेगा यह डिवाइस
आइआइटी दिल्ली ने इस डिवाइस का अविष्कार किया है। इसमें कैमरा ट्रैप तकनीक का उपयोग किया है। थर्मल कैमरा, ऑटोमेटिक साउंड, रोशनी से युक्त इस डिवाइस में सेंसर लगा हुआ है। यह सिर्फ रात के समय ही सक्रिय होती है। जैसे ही कोई इस डिवाइस के 25 मीटर के दायरे में आता है, इससे तेज आवाज और रोशनी निकलने लगती है। इस कारण डर से जानवर नहीं आते। फिलहाल वन क्षेत्र के गांवों के निकट दस डिवाइस लगाए गए हैं।
जल संरक्षण से लेकर पर्यटन विकास की लड़ाई लडऩे वाले उमरेंद्र कुमार सुमन ने वन विभाग की इस पहल के लिए स्थानीय वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रद्युमन गौरव को श्रेय देते हुए बताते हैं कि सरकारी योजनाएं तो बहुत बनती हैं, लेकिन सकारात्मक सोच रखने वाले अधिकारियों के दृढ़ निश्चयी अभियान उन योजनाओं के सफल परिणाम से आमजन लाभान्वित करने के लिए आवश्यक है।