पटवन के लिए दो माह तक राह देखते रहे कैमूर के किसान, नहर में पानी अब आया, जब जरूरत नहीं

गेहूं की पटवन के बाद नहर में पानी छोड़े जाने से कैमूर जिले के किसानों को परेशानी कई गांवों के किसानों को सता रही पानी से फसल बर्बाद होने की चिंता फसल पकने के समय जलजमाव हुआ तो बर्बाद हो जाएंगे किसान

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 08:57 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 08:57 AM (IST)
पटवन के लिए दो माह तक राह देखते रहे कैमूर के किसान, नहर में पानी अब आया, जब जरूरत नहीं
सोन नहर में बेमौसम पानी छोड़े जाने से किसान परेशान। जागरण

मोहनियां (कैमूर), संवाद सहयोगी। जिस समय गेहूं की फसल को पानी की जरूरत थी, तब नहरों में पानी नहीं आया। सिंचाई विभाग को तब किसानों की चिंता नहीं थी। दो माह तक किसान पानी का इंतजार करते-करते थक गए। इसके बाद निजी संसाधनों से गेहूं की सिंचाई किये। अब फसल में बालियां लग गई हैं। दलहन और तेलहन की फसल के पटवन का समय समाप्त हो चुका है। मौसम अच्छा रहा तो 15 से बीस दिनों में अधिकतर किसानों के सरसों की फसल की कटनी शुरू होगी। ऐसे में नहर के पानी से नुकसान छोड़ फायदा नजर नहीं आ रहा है।

जिले के कई हिस्‍सों में नहर क्षतिग्रस्त है। इससे अगल-बगल के खेतों में पानी जमा होगा। ऐसी‍ स्थिति में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। मोहनियां प्रखंड में एनएच 30 से पूरब दो माइनर वर्षों से अधूरी पड़ी है। इसके पानी से करीब एक दर्जन से अधिक गांवों के किसानों की फसल बर्बाद होती है। इस नहर का पानी मामादेव, कठेज, अमेठ, घेघियां, भरखर इत्यादि गांवों के बधार में लगी फसल को बर्बाद करते हुए रेलवे लाइन के चाट से दक्षिण कुर्रा, अकोढ़ी, मुबारक पुर गांव के बधार में पहुंचता है।

अकोढ़ी गांव से उत्तर रेलवे लाइन में बने पुल में अवरोध के कारण पानी की निकासी नहीं होती। इस कारण अकोढ़ी गांव के पधार में नहर का पानी जमा होता है। इससे सैकड़ों एकड़ में लगी रबी फसल डूब जाती है। इस पानी से उक्त गांव के किसानों के धान की फसल भी बर्बाद होती है। यह समस्या कई वर्षों से कायम है। इसके समाधान के लिए किसान जन प्रतिनिधियों व पदाधिकारियों के यहां गुहार लगाकर थक चुके हैं। लेकिन अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।

वर्ष 2017 में तत्कालीन डीएम राजेश्वर प्रसाद सिंह ने मोहनियां व रामगढ़ के तत्कालीन विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ अकोढ़ी गांव के बधार में जलजमाव की समस्या को देखा था। इसके निदान की दिशा में पहल का आश्वासन दिया था। जन प्रतिनिधियों से भी सुझाव मांगा था। मोहनियां के एसडीएम व सीओ को समस्या के निदान का निर्देश दिया था। लेकिन उनका प्रयास कारगर नहीं हो पाया।

जलजमाव की समस्या

जलजमाव से अगर रबी की फसल भी बर्बाद होती है तो किसानों को दोहरा नुकसान होगा। इसकी आशंका से किसान चिंतित हैं। किसानों का कहना है की सिंचाई विभाग पटवन का समय निकल जाने के बाद जगता है। ऐसे में किसानों को दोहरा नुकसान होता है। जिन किसानों के पास पटवन का अपना साधन नहीं है वे पहले पानी खरीद कर गेहूं का पटवन किये। उसमें पैसा खर्च हुआ। अब नहर के पानी से डूबकर फसल बर्बाद होगी।

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