कैमूर जिले के कुदरा में सीएचसी बनने के 6 वर्षों बाद भी सुविधाएं पीएचसी वाली ही

कुदरा से निर्वाचित होने वाले जनप्रतिनिधि केंद्र और राज्य की सरकारों में मंत्री पद से सुशोभित हो चुके हैं। लेकिन राजनीतिक स्‍तर पर कुदरा के राजकीय अस्पताल को बेहतर बनाने की कोशिश नहीं हुई। जिसके कारण अस्पताल का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा भी धरातल पर नहीं उतर सका।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 06:45 AM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 07:13 AM (IST)
कैमूर जिले के कुदरा में सीएचसी बनने के 6 वर्षों बाद भी सुविधाएं पीएचसी वाली ही
कुदरा नगर पंचायत का सीएचसी कई अभावों के साथ तीसरी लहर से निपटेगा, जागरण फोटो

कुदरा (कैमूर), संवाद सूत्र । वर्ष 2015 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने कुदरा नगर पंचायत के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में अपग्रेड कर दिए जाने की घोषणा की थी। लेकिन छह वर्षों बाद भी इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की सुविधाएं पीएचसी वाली ही हैं। उपलब्ध संसाधनों के दायरे में स्थानीय प्रशासनिक व स्वास्थ्य पदाधिकारी कोविड-19 की तीसरी लहर का सामना करने की तैयारी में जुटे हुए हैं। लेकिन मूलभूत संरचनाओं के अभाव में उनकी तैयारी किस सीमा तक कारगर हो सकेगी यह भविष्य ही बताएगा।

सीएचसी में होते हैं 30 बिस्तर लेकिन यहां मात्र छह:

जानकारी के मुताबिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों के लिए तीस बिस्तरों की व्यवस्था रहती है। लेकिन कुदरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अभी भी पीएचसी की तरह मात्र छह बिस्तर की ही व्यवस्था है। दूसरी लहर में दो अतिरिक्त बिस्तरों का इंतजाम कर कोविड-19 वार्ड बनाया गया था। इसी प्रकार यहां चिकित्सक के पद बारह हैं लेकिन प्रभारी व डेंटिस्ट समेत मात्र पांच की ही नियुक्ति है। उसमें भी एक चिकित्सक डॉ. सत्य स्वरूप की प्रतिनियुक्ति रामपुर प्रखंड में कर दी गई है। जीएनएम के पद यहां सोलह हैं लेकिन वर्तमान में नियुक्ति मात्र पांच की है। कुदरा प्रखंड में बसहीं, घटांव व नटेयां में तीन अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा बीस स्वास्थ्य उप केंद्र भी हैं। नटेयां में कोई एमबीबीएस डॉक्टर नहीं हैं, जबकि घटांव में एक और बसहीं में दो एमबीबीएस डॉक्टर की नियुक्ति है। जरूरत पडऩे पर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नियुक्त एमबीबीएस चिकित्सकों की सेवा लेकर कुदरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जरूरतों को पूरा किया जाता है।

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर व बड़े सिलेंडर का हो चुका है टेंडर

कोविड-19 के मद्देनजर अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं की बाबत पूछे जाने पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. रीता कुमारी ने बताया कि अस्पताल में दो एंबुलेंस पूर्व से मौजूद हैं। एक अतिरिक्त एंबुलेंस के लिए स्थानीय विधायिका के द्वारा आश्वासन दिया गया है। अस्पताल में पांच पल्स ऑक्सीमीटर मौजूद हैं। पूर्व से ही एक्सरे की सुविधा भी मौजूद है। प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि 15-वें वित्त आयोग की राशि से कुदरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर व बिस्तर उपलब्ध कराने की प्रक्रिया जारी है। इसके लिए जिला से टेंडर हो चुका है।

दूसरी लहर में हो गई थी प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक की मौत

बता दें कि कोविड-19 की दूसरी लहर में तत्कालीन प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक बीरबल कुमार की कोविड-19 से मौत हो गई थी। स्थानीय अस्पताल में कार्य करने के दौरान संक्रमित होने के बाद कुछ दिनों तक उनका उपचार सदर अस्पताल भभुआ और उसके बाद वाराणसी के निजी अस्पताल में चला। लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। उसके बाद से अभी तक यहां पूर्णकालिक स्वास्थ्य प्रबंधक की नियुक्ति नहीं हो सकी है। कुछ दिनों तक यह पद मोहनियां के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक के अतिरिक्त प्रभार में रहा। वर्तमान समय में यहां के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक का अतिरिक्त प्रभार भगवानपुर के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक विशाल राज देख रहे हैं।

राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में उपेक्षित रहा अस्पताल

दशकों पहले जब कुदरा नगर पंचायत का स्वरूप गांव का और अस्पताल का दर्जा भी पीएचसी का ही था, उस समय अस्पताल के परिसर में चिकित्सक और चिकित्साकर्मियों के परिवार के साथ रहने के लिए आवास हुआ करते थे। समय के साथ वे आवास जर्जर होकर खंडहर बन गए, लेकिन उनकी जगह दूसरे आवास नहीं बनाए गए। काफी समय पहले चिकित्सकों के दो आवास बने भी तो अस्पताल परिसर से बाहर ऐसी जगह पर बनाए गए जिसके इर्द-गिर्द गंदगी और अतिक्रमण का साम्राज्य है। इसकी जो तार्किक परिणति होनी थी वही हुई और वे दोनों चिकित्सक आवास अतिक्रमण और गंदगी के चलते अस्तित्व विहीन हो गए। अस्पताल परिसर में भवन की कमी के चलते खंडहर हो चुके पूर्व के चिकित्सक आवास को स्टोर रूम बनाकर दवाएं व अन्य सामान रखने पड़ते हैं। दरअसल, जिस लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के अंतर्गत कुदरा आता है वहां से निर्वाचित होने वाले प्रतिनिधि केंद्र और राज्य की सरकारों में मंत्री पद से सुशोभित हो चुके हैं। लेकिन कुदरा के राजकीय अस्पताल को यहां की बढ़ती हुई जरूरतों के मुताबिक बेहतर रूप देने के लिए राजनीतिक स्तर पर कोशिश का हमेशा अभाव देखा गया। राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में अस्पताल का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा भी धरातल पर नहीं उतर सका। स्थानीय लोगों को मानें तो अस्पताल की सुविधाओं को देखते हुए आम जनता को ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों को भी इसे सीएचसी कहने में संकोच होता है।

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