कैमूर में अतिक्रमण से तालाब के अस्तित्व पर संकट

पूर्वजों द्वारा जनहित में खोदवाये गए तालाबों का अस्तित्व मिटाने पर नई पीढ़ी आमादा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 05:47 PM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 06:00 PM (IST)
कैमूर में अतिक्रमण से तालाब के अस्तित्व पर संकट
कैमूर में अतिक्रमण से तालाब के अस्तित्व पर संकट

गया। पूर्वजों द्वारा जनहित में खोदवाये गए तालाबों का अस्तित्व मिटाने पर नई पीढ़ी आमादा है। तालाब की पिड पर अवैध कब्जा जमाने के बाद मकान बन गए। यही अतिक्रमणकारी धीरे धीरे तालाब को मिट्टी और कूड़े कचरे से भरना शुरू कर दिए हैं। अतिक्रमण के कारण वह दिन दूर नहीं जब तालाब का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। प्रशासनिक शिथिलता से स्थिति और गंभीर होती जा रही है। न्यायालय के आदेश के बाद भी तालाबों को अतिक्रमणमुक्त कराने की प्रक्रिया बहुत धीमी है। मोहनियां प्रखंड के बघिनी कला गांव में दो तालाब हैं। जिसमें एक तालाब का रकबा करीब नौ एकड़ तो दूसरे का आठ एकड़ से अधिक था। एक तालाब गांव से सटे पश्चिम है। दूसरा उससे थोड़ी दूर पर है। तीन दशक पूर्व तालाबों की सुंदरता लोगों को आकर्षित करती थी। तालाब की पिड पर बैठकर लोग काफी सुकून महसूस करते थे। गांव में जब भी भीषण अग्नि प्रकोप हुआ उस वक्त इन्हीं तालाबों को बदौलत ग्रामीणों ने आग पर काबू पाया। तालाब के पानी से ग्रामीणों की दिनचर्या पूरी होती थी। गांव के अलावा बगल के गांवों के मवेशी बघिनी कला गांव के तालाब में पानी पीते थे। आज स्थिति काफी बदल चुकी है। आज तालाब की आधा से अधिक जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमा लिया है। आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों ने पक्का मकान भी बनाया है। चारों तरफ बने मकानों से तालाब घिर गया है। गांव के समीप वाले तालाब में कई घरों के नाली का पानी गिरता है। इससे पानी दूषित हो चुका है। अब तालाब में लोग हाथ पैर धोने से परहेज करने लगे हैं। जिन पूर्वजों ने शौक से गांव में दो दो तालाब का निर्माण कराया उन्होंने यह नहीं सोचा होगा की आने वाली पीढ़ी इसका अस्तित्व मिटा देगी। जिस तेजी से तालाब की जमीन पर अतिक्रमण जारी है ऐसे में कुछ वर्षों में ही तालाब का वजूद समाप्त हो जाएगा।

बुजुर्ग ग्रामीणों का कहना है की शायद ही जिला के किसी गांव में दो तालाब होगा। तालाब गांव की समृद्धि के पहचान थे। तीन दशक पूर्व गांव तक तालाब सुंदर और स्वच्छ था। आज अतिक्रमण और गंदगी से यह बदहाल होता जा रहा है। अब लोग तालाब को मिट्टी व कूड़े कचरे से भरने में लगे हैं। जो भविष्य के लिए दुखदाई है। समय रहते अगर जल संचय पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में मानव की जिदगी तबाह होना अवश्यंभावी है। जमीन हड़पने के चक्कर में जिस तरह जल स्त्रोतों का अस्तित्व मिटाया जा रहा है। इससे साफ जाहिर होता है कि पानी से ज्यादा महत्वपूर्ण घर और मकान है। तीन दशक में प्रखंड के अधिकतर तालाब, ताल और तलैया जैसे महत्वपूर्ण जल स्त्रोत अतिक्रमण के शिकार हो चुके हैं। इस तरफ न तो ग्रामीणों का ध्यान है न ही किसी जनप्रतिनिधि व पदाधिकारियों का। स्वार्थ के वशीभूत होकर ग्रामीण पूर्वजों की धरोहर तालाब व ताल की जमीन को भरकर मकान बना रहे हैं। तालाब की जमीन को हड़पने की होड़ मची हुई है। ऐसे में जल स्त्रोतों को बचाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है।

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