आर्थिक क्षति: बिहार में धागा मिल नहीं रहने से गया के वस्त्र उद्योग संचालकों को सामान मंगाना पड़ रहा महंगा

मनुष्य को सुखमय जीवन व्यतित करने के लिए रोटी कपडा और मकान अवश्य चाहिए। रोटी तो हम जुगाड़ कर लेते मकान भी किसी तरह बन जाता। लेकिन वस्त्र खरीदना काफी महंगा पड़ता। इसके कारण वस्‍त्र भी महंगे दाम पर बेचने पड़ते हैं।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Sat, 20 Feb 2021 09:27 AM (IST) Updated:Sat, 20 Feb 2021 09:27 AM (IST)
आर्थिक क्षति: बिहार में धागा मिल नहीं रहने से गया के वस्त्र उद्योग संचालकों को सामान मंगाना पड़ रहा महंगा
मानपुर के व्‍यापारी दूसरे राज्‍यों से मंगाते हैं रंग-बिरंगे धागे। जागरण।

[विश्वनाथ प्रसाद] मानपुर (गया)। मनुष्य को सुखमय जीवन व्यतित करने के लिए रोटी , कपडा और मकान अवश्य चाहिए। रोटी तो हम जुगाड़ कर लेते, मकान भी किसी तरह बन जाता। लेकिन वस्त्र खरीदना काफी महंगा पड़ता। महंगें वस्त्र मिलने का वजह जानने गया के मानपुर पटवा टोली वस्त्र उद्योग पहुंचा, जहां कई उद्योग मालिकों से काफी देर तक बातचीत हुई। उक्त लोगों ने कहा कि बिहार में एक भी धागा बनाने का कारखाना नहीं है। दूसरे प्रदेश से धागा मंगाना काफी महंगा पड़ता। जिसके कारण वस्‍त्र भी महंगे दाम पर बेचने पड़ते हैं।

पटवा टोली में प्रतिदिन 50 हजार किलो आता धागा

उद्योग नगरी पटवा टोली में करीब दस हजार पावर लूम एवं हैंड लूम है। जिसपर प्रतिदिन करीब 50 हजार पीस विभिन्न तरह के वस्त्र तैयार किया जाता। इन वस्त्रों को बनाने के लिए दक्षिण भारत के कोयंवटूर रोड़ तिरुपुर एवं पंजाब के चंडीगढ़ से धागा मंगाया जाता। इसके लाने के लिए पटवा टोली में सात डीलर हैं। जो प्रतिदिन करीब 50 हजार किलो धागा तीन टृक से मंगाते हैं। सभी डीलर का अपना-अपना गोदाम है। जिसमें वे धागा को रखते हैं। वहां से उधोग संचालक जरुरत के अनुसार धागा खरीकर ले जाते हैं।

क्यों महंगा पड़ता धागा

दक्षिण भारत और पंजाब से धागा मंगाने में माल ढुलाई खर्च काफी महंगा पड़ता । यहां 10 से 32 कौन्त के धागा मंगाया जाता है। यहां धागा 70 रुपए से लेकर 120 रुपए तक मिलते हैं।

क्या कहते बुनकर नेता

बुनकर संघ के नेता प्रेमनारायण पटवा एवं गोपाल प्रसाद पटवा का कहना है कि तीस साल पूर्व बिहार के गया, भागलपुर, मोकामा एवं डुमराव में धागा बनाने का कारखाना था। जहां से धागा मंगाना सस्ता पड़ता था। लेकिन उक्त कारखाने को बंद होते ही दक्षिण भारत और पंजाब से धागा मंगाना पड़ रहा है। अगर बिहार में धागा तैयार करने कि कारखाना खोल दिया जाए तो कम दाम पर धागा मिलना शुरू हो जाएगा।

उसके बाद विभिन्न तरह के वस्त्र भी कम दाम पर बिकना शुरू हो जाएगा।

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