मछली के साथ बतख पालन पालन कर दूर की आर्थिक तंगी, सालाना 18 लाख तक की हो रही आमदनी
गया जिले के कोंच प्रखंड के रहने वाले अनीश कुमार ने मछली के साथ बतख पालन कर अपनी स्थिति सुदृढ की है। कुछ हजार की नौकरी करने वाले अनीश अब सालाना लाखों कमा रहे हैं। उनका कहना है कि यह बेहद आसान है।
संवाद सूत्र ,कोंच (गया)। जिले के ग्राम ईगुना के अनीश कुमार ने मछली के साथ बतख पालन कर अपनी आमदनी में तो इजाफा किया ही, दूसरों के लिए भी प्रेरक बन गए हैं। अनीश के इस प्रयोग को देखने के लिए युवा पहुंच रहे हैं। उनसे इसके गुर सीख रहे हैं। वे बताते हैं कि ये दोनों सहजता से होनेवाले व्यवसाय हैं।
पांच कट्ठे में बनवाया तालाब और शुरू किया मछली पालन
जानकारी के अनुसार पिता परशुराम सिंह शिक्षा परियोजना में काम करते थे। वहां पिता की नौकरी छूट गई। घर में तंगी होने पर अनीश मुंबई से प्रावेट नॉकरी छोड़कर आ गए। इगुना के बधार में पांच कट्ठा जमीन में तालाब का निर्माण कराया। उसमें पहले मछली पालन करने का मन बनाया। तालाब की खोदाई के बाद बोरिंग कर सबमर्सिबल से पानी डाला गया। उसके बाद अन्य जगहों से लाकर मछली के बीज डाले गए। वर्तमान में उस तालाब में कतला व राेहू का पालन किया जा रहा है। अनीश बताते हैं कि इससे सलाना पांच लाख की आमदनी हो जाती है।
बतख पालन के लिए अलग से नहीं करनी पड़ी व्यवस्था
अनीश बताते हैं कि मछली पालन के दौरान ही लगा कि बतख पालन भी इसमें आसानी से किया जा सकता है। उसके लिए अलग से व्यवस्था की जरूरत तो है नहीं। इसके बाद उन्होंने बतख पालन शुरू किया। कुल चार सौ बतख पाल रहे हैं। अनीश बताते हैं कि एक बतख प्रति वर्ष 330 अंडे देती हैं। इस प्रकार 400 बतख से प्रतिवर्ष कुल एक लाख 32 हजार अंडे का उत्पादन होता है । इससे करीब 13 लाख रुपये प्रतिवर्ष आता है। इसके अलावा बतख से भी आमदनी होती है।
मुंबई में करते थे प्राइवेट नौकरी
अनीश यह कार्य दो वर्षों से कर रहे हैं। उसके पहले मुंबई में प्राइवेट जॉब करते थे। अनीश के अनुसार शिक्षा परियोजना में पिता जी काम करते थे। वहां से काम छूट जाने से आर्थिक तंगी हो गई। प्राइवेट जॉब से घर-परिवार चलाना मुश्किल हो गया था। इसके बाद घर आकर बतख व मछली पालन का निर्णय लिया । दो साल से कारोबार कर रहे हैं। जिससे अच्छी खासी आमदनी हो जाती है। ।