कोरोनाकाल में योद्धा की तरह काम आए DRDA डायरेक्टर, प्लाज्मा डोनेट कर पेश की मिसाल, कही ये बातें
कोरोना के संकट में जहां अपनों से रिश्ते तक को लोग छोड़ दिए। वहीं जिले में डीआरडीए डायरेक्टर के पद पर पदस्थापित अजय तिवारी ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए प्लाज्मा डोनेट किया। सूबे में पहले अधिकारी बने जिन्होंने अपना प्लाज्मा डोनेट किया।
जागरण संवाददाता, भभुआ। कोरोना के संकट में जहां अपनों से रिश्ते तक को लोग छोड़ दिए। वहीं जिले में डीआरडीए डायरेक्टर के पद पर पदस्थापित अजय तिवारी ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए प्लाज्मा डोनेट किया। सूबे में पहले अधिकारी बने जिन्होंने अपना प्लाज्मा डोनेट किया।
कोरोनाकाल में पदाधिकारियों व चिकित्सकों ने इंसानियत का परिचय देते हुए जीवन का परवाह किए बिना दूसरों की जान बचाने के लिए अपने कर्तव्य में डटे रहे। वैश्विक महामारी से बचने के लिए लोग अपने घरों में रहने लगे। कोरोना काल के प्रथम चरण में विभिन्न राज्यों से पहुंचने वाले प्रवासियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के साथ स्वास्थ्य व भोजन की जिम्मेदारी पदाधिकारियों को दी गई थी।
प्रवासियों को गंतव्य तक भेजने की जिम्मेदारी को लेकर प्रतिनियुक्त किए गए नोडल पदाधिकारी सह डीएआरडीए डायरेक्टर अजय कुमार तिवारी सूबे के एकमात्र ऐसे प्रशासनिक पदाधिकारी हैं, जिन्होंने अपना प्लाज्मा दूसरे की जान बचाने के लिए पटना के एनएमसीएच में दिया।
डीआरडीए डायरेक्टर अजय तिवारी ने बताया कि लगातार दो माह तक बिना छुट्टी लिए सरकार व जिलाधिकारी के निर्देश पर बिना थके हारे अन्य प्रदेश से आने वाले प्रवासियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए डटे रहे। इस दौरान अन्य प्रदेशों से आने वाले प्रवासियों के संपर्क में आने के कारण वे मई माह में संक्रमित हो गए।
हालत बिगडऩे पर पटना में इलाज कराया गया। स्वस्थ होने के बाद पटना के नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल में अपना प्लाज्मा डोनेट किया। कोरोना की दूसरी लहर में वे फ्रंट वारियर बनकर कर्तव्य पर डटे रहे। श्री तिवारी कहते हैं कि प्लाज्मा देने से उनके स्वास्थ्य पर कोई नुकसान नहीं हुआ। उन्होंने कोरोना से उबरे लोगों को दूसरों के लिए प्रेरणा बनने की सलाह दी और कहा कि वे भी आगे हैं। प्लाज्मा डोनेट कर दूसरों की जान बचाएं। मानव जीवन दूसरों की सहायता के लिए ही बना है।