गया में डीएवी का प्राचार्य रहते डॉ. उमाशंकर को मिला था राष्‍ट्र्रपत‍ि के हाथों पुरस्‍कार, निधन पर शाेक

डीएवी स्‍कूल के रीजनल ऑफिसर डॉ. उमाशंकर प्रसाद का निधन कोरोना से हो गया है। उनके निधन पर गया में शोक की लहर है। वे गया में डीएवी के प्राचार्य रह चुके थे। उनके निधन पर शोक की लहर दौड़ गई है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 03:02 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 03:02 PM (IST)
गया में डीएवी का प्राचार्य रहते डॉ. उमाशंकर को मिला था राष्‍ट्र्रपत‍ि के हाथों पुरस्‍कार, निधन पर शाेक
तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों सम्‍मानित होते डॉ. उमाशंकर प्रसाद। फाइल फोटो

गया, जागरण संवाददाता। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डीएवी पब्लिक स्कूल बिहार जोन (DAV Public School, Bihar Zone) ए पटना  के रीजनल ऑफिसर डॉ. उमाशंकर प्रसाद नहीं रहे। उन्होंने पटना के रुबन हॉस्पिटल में शुक्रवार  देर रात अंतिम सांस ली। वे कोरोना संक्रमित थे। पिछले सप्ताह से अस्‍पताल में भर्ती थे। उनका पार्थिव शरीर शनिवार को गया के विष्णुपद श्मशान घाट पर लाया गया। वहां गमगीन माहौल में उनकी अंत्‍येष्टि की गई। डॉ प्रसाद को वर्ष 2012 में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (The Then President Pranab Mukherjee) ने शिक्षक दिवस पर  सम्मानित किया था। इसके बाद उन्हें वर्ष 2014 में शिक्षक दिवस पर ही सीबीएसई बोर्ड से तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सम्मानित किया था। यह दोनों  अवार्ड उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर उपलब्धि हासिल करने और शिक्षा को बढ़ावा देने को लेकर मिला था। यह दोनों सम्‍मान उन्‍हें गया डीएवी के प्राचार्य रहते हुए मिली थी।  

औरंगाबाद के रहनेवाले थे डाॅ. उमाशंकर

मूल रूप से औरंगाबाद के रफीगंज प्रखंड के मई गांव के रहने वाले थे। औरंगाबाद में वे 14 वर्षों तक डीएवी के प्राचार्य रहे। वहां से स्थानांतरण के बाद वर्ष 2005 में गया के डीएवी पब्लिक स्कूल कैंट एरिया में प्राचार्य के पद पर योगदान किया। उस समय से वर्ष 2018 तक प्राचार्य के पद पर कार्यरत रहे। उन्हें डीएवी मैनेजमेंट कमेटी ने वर्ष 2011 में रीजनल डायरेक्टर के रूप में पदभार सौंपा था। उस समय से लगातार इस पद पर कार्यरत रहे। अभी वर्तमान में वह पटना बिहार जोन ए रीजनल ऑफिसर थे। उनके अधीन बिहार जोन ए में सात जिले के करीब 22 स्कूल संचालित है। दो पुत्र और एक पुत्री परिवार में हैं।  वर्ष 2012 में ही उनकी पत्‍नी का निधन हो गया था। 

शोक में पूरे बिहार की ऑनलाइन क्‍लास स्‍थगित  

युवा अवस्था में बतौर शिक्षक के रूप में डीएवी में अपना कार्य शुरू किए थे। कड़ी मेहनत लगन और परिश्रम के बदौलत डीएवी में शिक्षक पद पर कार्य करते हुए शिक्षक से प्राचार्य और प्राचार्य से रीजनल ऑफिसर तक का सफर तय किया। उनके करीबी रहे डीएवी स्कूल के प्राचार्य का कहना है कि वह बहुत ही शांत मधुर और मिलनसार व्यक्ति थे। सभी को साथ लेकर चलने वाले वह व्यक्ति थे। उनके निधन से पूरा डीएवी परिवार मर्माहत है। उनके निधन की खबर सुनने के बाद शनिवार को डीएवी स्कूल में ऑनलाइन क्लासेस को पूरे बिहार में स्थगित कर दिया गया है। शिक्षक कर्मचारी और बच्चे सभी उनके निधन से काफी दुखित हैं। सभी लोग अपनी श्रद्धांजलि अपने अपने घरों में रहकर अर्पित की है।

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