Gaya: जीरो टिलेज से करिए मूंग की खेती, कम लागत में बंपर उपज से सेहत के साथ किस्‍मत भी संवरेगी

गया के मानपुर में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत कृषि वैज्ञानिकों की देखरेख में मूंग की खेती कराई जा रही है। इस क्रम में करीब ढाई सौ एकड़ में मूंग की खेती का लक्ष्‍य रखा गया है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Wed, 31 Mar 2021 08:23 AM (IST) Updated:Wed, 31 Mar 2021 08:23 AM (IST)
Gaya: जीरो टिलेज से करिए मूंग की खेती, कम लागत में बंपर उपज से सेहत के साथ किस्‍मत भी संवरेगी
जीरो टिलेज से हो रही मूंग की खेती। जागरण

मानपुर (गया), जागरण संवाददाता। जलवायु के अनुकूल कृषि कार्य (Climate Friendly Agriculture Work) के तहत मानपुर एवं नगर प्रखंड के चयनित पांच गांव के ढाई सौ एकड़ भूमि में मूंग (Mung bean) की फसल लगाने की शुरूआत हो गई। खेत से गेहूं की फसल जैसे-जैसे कटाई की जा रही है वैसे-वैसे किसान जीरो टिलेज मशीन से मूंग की फसल लगा रहे हैं। अभी तक करीब दस एकड़ भूमि में फसल लगाई जा चुकी है।  मूंग की खेती करने से किसानों को कम लागत में अच्‍छी आमदनी होगी। मूंग के पौधे भी जैविक खाद के रूप में  काम आ जाएंगे। मूंग की दाल सेहद के लिए काफी फायदेमंद होती है।  

इन गांवों का किया गया है चयन

मानपुर के रसलपुर और रूपसपुर एवं नगर प्रखंड के तकिया, रहीम विगहा एवं रसलपुर का चयन जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत किया गया है। इन गांवों के खेतों में जीरो टिलेज से धान, गेहूं, मक्का, मसूर एवं चना की फसल कृषि वैज्ञानिकों की देखरेख में लगाई गई थी। किसानों को कम लागत और मेहनत में अच्‍छी उपज मिली तो अन्‍य किसान भी इस ओर उन्‍मुख हुए हैं। 

प्रभावित हुए कई गांवों के किसान 

जलवायु के अनुकूल कृषि कार्य के तहत लगाई गई फसल की उपज देख कई गांव के प्रभावित हुए हैं। किसान रामदास महतो, अमर कुमार,  इंद्रदेव प्रसाद,  विगन प्रसाद आदि का कहना है कि बदलते मौसम में किसानों को खेती करने के तरीके में बदलाव लाना होगा। जीरो टिलेज विधि से लगाई गई फसल की उपज काफी बेहतर होती है। जिले के कई प्रखंडों के किसान इस विधि से खेती करने का मन बनाए हुए हैं। कई गांव के किसान मूंग की फसल करेंगे। 

एक एकड़ में चार क्विंटल होगी मूंग

कृषि विज्ञान केंद्र मानपुर के कृषि वैज्ञानिक डां. देवेंद्र मंडल का कहना है कि जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम को लोग अपनाएं। इस विधि से किसी भी तरह की फसल उपजाने में कम लागत में अधिक फायदा होगा। एक एकड़ भूमि में मूंग की करीब चार क्विंटल उपज होगी। चयनित गांव की भूमि में फसल लगाने के लिए बीज कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से दिया जाता है।  बेहतर फसल कैसे हो इसके बारे में वैज्ञानिक किसानों को समय-समय पर बताते रहते हैं।

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