आरपीएफ के महानिदेशक ने कहा- परिवर्तन को स्वीकार करें, यह विकास का मार्ग भी प्रशस्त करता है
मगध विश्वविद्यालय के पीजी सोशियोलॉजी विभाग में वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें कई विवि के कुलपतियों ने अपने विचार रखे। इस दौरान आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार ने कोरोना के सकारात्मक प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की।
बोधगया, जागरण संवाददाता। पूरी दुनिया में यदि कुछ शास्वत है तो वह परिवर्तन है। पृथ्वी भी परिवर्तनशील है। हर समय हमारा मन भी बदलता रहता है यद्यपि हम अनुभव नहीं कर पाते। ये बातें सोमवार को रेलवे सुरक्षा बल (Railway Police Force), रेल भवन नई दिल्ली के महानिदेशक अरुण कुमार (DG Arun Kumar) ने कहीं। वे मगध विश्वविद्यालय (Magadh University) के स्नातकोत्तर समाजशास्त्र विभाग (PG Sociology Department) में भारतीय परिप्रेक्ष्य : बदली दुनिया बदले लोग विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।
कोरोना काल में हुए ऐसे काम जो सामान्य स्थिति में नहीं थे संभव
उन्होंने कहा कि एक ही चीज दो ढंग से प्रभावित करती है। कोरोना काल में जब सारी व्यवस्थाएं ठप थी। वैसे समय में रेलवे सहित अन्य विभागों में ऐसे कार्य किए गए, जो सामान्य अवस्था में संभव नहीं हो रहे थे। इसलिए हमें मान कर चलना चाहिए कि जो होता है, वह अच्छा ही होता है। यह परिवर्तन विकास का मार्ग भी प्रशस्त करता है उन्होंने कहा कि इस महामारी का रूप कहां तक जाएगा, इसके बाद ही वास्तविक बदलाव परिलक्षित होगा।
तकनीकी के कारण हुआ बड़ा बदलाव
अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि बहुत सारे ऐसे परिवर्तन हुए हैं जो युगांतकारी सिद्ध हुए हैं। जो जीवन पर गहनतम परिवर्तन डालते हैं उन्हें क्रांतिकारी परिवर्तन कहते हैं। सभ्यता के विभिन्न चरणों में मानव ने जो कुछ किया उन प्रणालियों का सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांसारिक हित भी प्रभावित पड़ा। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के कारण युद्ध कला भी बदल गई। रोबोटिक मानव भी इसका हिस्सा बन रहा है। यह भी एक बड़ा परिवर्तन है। इसलिए स्पष्ट रूप से यह कहा जा सकता है कि दुनिया तेजी से बदल रही है। एक कोरोना वायरस ने मानव की सोच बदल दी। मैन मेड वायरस ने संपूर्ण विश्व को भयाक्रांत किया। उन्होंने कहा कि बहुत सारे देशों में संसाधनों के लिए हिंसात्मक संघर्ष हुए। राष्ट्रों के आंतरिक एवं वाह्य क्रियाकलापों में भी परिवर्तन हुआ है। जनता की सरकार से अपेक्षाएं बढ़ी है।
रक्तबीज का आधुनिक स्वरूप है कोरोनावायरस
मुख्य अतिथि नव नालंदा महाबिहार के कुलपति प्रो वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि भारतीय परिप्रेक्ष्य की बड़ी विडंबना रही है कि हमने पूरी दुनिया को परिवार माना। उन्होंने कि कहा कि रक्तबीज का आधुनिक रूप है कोरोनावायरस (Coronavirus)। पश्चिमी दृष्टिकोण ने हमें मानसिक रूप से गुलाम बना दिया है। विशिष्ट अतिथि पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो रासबिहारी प्रसाद सिंह ने कहा कि सृष्टि में जबरदस्त परिवर्तन हुआ है और इसका फैलाव भी बहुत तेजी से हुआ। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी ने ग्लोबल चेंज किया। बदलती दुनिया ने हमें सभी संसाधन दिए हैं। इस बदलाव में भी हमें आशावादी होना चाहिए।
बदलाव को समझना है जरूरी
विशिष्ट वक्ता समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो दीपक कुमार ने कहा कि न्यू नॉर्मल सोसाइटी और चेंज सोसाइटी तक हमें अध्ययन जारी रखना होगा। जो चीजें बदल रही है या बदलने की संभावना है उसको जानना जरूरी है। उन्होंने सोशियोलॉजी ऑफ हैप्पीनेस पर कार्य करने की जरूरत बताई। कोरोना के वजह से एक डिजिटल रिस्क सोसाइटी का निर्माण हो सकता है। विवि के पीआरओ डॉ शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने वेबीनार का संचालन किया। वेबिनार में प्रो आरएस जमुआर, प्रो आरपीएस चौहान, प्रो सुधीर कुमार मिश्र सहित अन्य ने अपनी सहभागिता सुनिश्चित की। सहायक अध्यापक डॉ रूनू रवि ने स्वागत, डॉ वंदना कुमारी ने अतिथियों तथा प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।