जैविक उत्‍पादों की बाजार में बढ़ गई है मांग, इसलिए जैविक खेती करें किसान तो बढ़ेगी आमदनी

औरंगाबाद के चिल्हकी बिगहा गांव में जैविक खेती का प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इसमें किसानों को इस खेती के फायदे बताए गए। बताया गया कि जैविक उत्‍पादों की मांग बाजार में बहुत बढ़ गई है। इसलिए किसान इस विधि से खेती करें।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 07:20 AM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 07:20 AM (IST)
जैविक उत्‍पादों की बाजार में बढ़ गई है मांग, इसलिए जैविक खेती करें किसान तो बढ़ेगी आमदनी
जैविक खेती प्रशिक्षण में उपस्थित किसान। जागरण

संसू, अंबा (औरंगाबाद)। प्रखंड मुख्यालय अम्बा के चिल्हकी बिगहा गांव में किसान के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें किसानों को जैविक खेती (Organic Farming) को लेकर कई जानकारी दी गई। उनसे अपील की गई कि वे जैविक खेती अपनाएं। कार्यक्रम का उद्घाटन जिला उद्यान पदाधिकारी जितेंद्र कुमार, कृषि समन्वयक डॉ वीरेंद्र प्रसाद, संजीव रंजन व आत्मा अध्यक्ष सह प्रगतिशील किसान बृजकिशोर मेहता ने किया।

स्‍ट्राबेरी की खेती कर यहां के किसानों ने पेश की मिसाल

इसमें उद्यान पदाधिकारी ने कहा कि चिल्हकी बिगहा गांव के किसानों ने अपने जज्बे व मेहनत के बलबूते औरंगाबाद जिले को देश स्तर पर  पहचान दिलाई है। बिहार में पहली बार स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की खेती कर चिल्हकी बिगहा गांव के किसानों ने एक नई इबारत लिखी। उन्होंने कहा कि चिल्हकी बिगहा के किसान जैविक खेती शुरू करें तो इससे उन्हें भरपूर मुनाफा मिलेगा। नए भारत के बाजार में जैविक उत्पादों (Organic Products) की मांग बढ़ी है। जैविक उत्पाद से लोगों को विभिन्न रोग से बचाव के साथ हीं संतुलित आहार प्राप्त होता है।

जैविक खेती से आमदनी बढ़ेगी

उद्यान पदाधिकारी ने कहा कि जैविक खेती से कम खर्च में आमदनी बढ़ाई जा सकती है। इसलिए अधिक से अधिक किसानों को जैविक खेती की तकनीक अपनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जैविक खेती को अपनाकर रासायनिक खाद, कीटनाशकों दवाइयों के दुष्प्रभाव से लोगों को बचाया जा सकता है। किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड लेकर अपनी मिट्टी की जांच करवानी चाहिए ताकि मिट्टी के अनुसार संतुलित पानी खाद का प्रयोग किया जा सके। उन्होंने कहा कि जैविक खेती अपनाने वाले किसान अपनी फसलों में तीन साल तक रासायनिक खाद, दवाइयां, कीटनाशक का प्रयोग नहीं कर सकते। कृषि समन्वयक डॉ वीरेंद्र कुमार ने कहा कि किसानों को अपने खेतों में गोबर से बने और हरी खाद का प्रयोग करना चाहिए। इससे लागत घटेगी और आमदनी में बढ़ोतरी आएगी।इससे खेत की उर्वरा शक्ति बरकरार रहेगी।

जैविक उत्पाद मानव स्वास्थ्य का रक्षक

प्रगतिशील किसान बृजकिशोर मेहता ने बताया कि अत्यधिक रसायनों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर हो जाती है। जैविक खाद के प्रयोग से फसलों का उत्पादन अधिक होने के साथ ही मानव स्वास्थ्य की रक्षा होती है। रसायनिक खाद के प्रयोग से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। मिट्टी को उर्वर बनाने वाले मित्रकीट का इससे नुकसान होता है। कार्यशाला के दौरान किसानों को जैविक खाद बनाने, फसलों को रोगमुक्त रखने और जैविक तरीके से अनाज के भंडारण का प्रशिक्षण दिया गया। शिविर में किसान अजीत कुमार, सुरेंद्र मेहता, जितेंद्र कुमार, सुदय कुमार समेत काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

chat bot
आपका साथी