मासूम के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में सुनाई गई फांसी की सजा, 55 बार हुई सुनवाई, डालमियानगर की घटना

सासाराम जिले के डेहरी के डालमियानगर थाना क्षेत्र में 14 नवंबर 2020 को घटना घटी थी। पूरे मामले में 55 बार कोर्ट ने सुनवाई की। 11 गवाहों ने गवाही दी थी। कोर्ट ने आरोपित को फांसी और पीडि़त परिवार को आठ लाख मुआवजा देने का आदेश दिया।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 12:06 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 12:15 PM (IST)
मासूम के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में सुनाई गई फांसी की सजा, 55 बार हुई सुनवाई, डालमियानगर की घटना
दादी ने दर्ज कराई थी प्राथमिकी, सांकेतिक तस्‍वीर ।

जागरण संवाददाता,सासाराम:रोहतास। नाबालिग के साथ दुष्कर्म के बाद  हत्या के मामले में दादी ने डालमियानगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। डेहरी के डालमियानगर थाना क्षेत्र  में 14 नवंबर 2020 को नाबालिग के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर शव को छिपाने की नियत से उसे आरोपी ने लकड़ी के बक्से में बंद  दिया था।  स्पीडी ट्रायल के तहत हुई सुनवाई के बाद एडीजे सात (विशेष अदालत पाक्सो एक्ट) की अदालत द्वारा आरोपी बलिराम सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई है इसके साथ ही पीडि़त पक्ष को आठ लाख मुआवजा देने का फैसला भी सुनाया गया है । पूरे मामले में कोर्ट ने 55 बार सुनवाई और 11 गवाहों की गवाही के बाद फांसी की सजा दी है।

दादी ने दर्ज कराई थी प्राथमिकी

14 नवंबर 2020 को लक्ष्मी-गणेश की फोटो दिखाकर नाबालिग को अपने घर ले जाने के बाद दुष्कर्म कर कृत्य को छिपाने की नीयत से नाबालिग की हत्या कर लकड़ी के बक्से में लाश छिपाने की घटना को लेकर नाबालिग की दादी  ने डालमियानगर थाने में दर्ज कराई थी।

आरोपित का रहा है आपराधिक इतिहास

आरोपित बलिराम सिंह का डालमियानगर थाने में आपराधिक इतिहास दर्ज है । बलिराम सिंह के विरुद्ध दर्ज आपराधिक इतिहास की चर्चा पुलिस ने नाबालिग से दुष्कर्म के बाद हुई हत्या कांड की केस डायरी में दर्ज की है। केस डायरी के मुताबिक आरोपित बलिराम सिंह उर्फ मुन्ना के विरुद्ध डालमियानगर थाने में 1998  में आपराधिक कांड दर्ज है।  मद्य निषेध अधिनियम की धारा 37 ए बी सी के तहत वर्ष 2018 में भी मामला दर्ज किया गया है।

फारेंसिक जांच की भूमिका रही अहम

घटना के बाद मामले में जांच अधिकारी रहे इंस्पेक्टर देवराज राय के मुताबिक इस मामले में पुलिस ने  काफी गंभीरता से जांच की थी। जिसमें पुलिस ने फारेंसिक टीम के साथ पीडि़ता का कपड़ा सहित आरोपी के कपड़े जब्त किए थे।  इसके साथ ही फारेंसिक जांच के लिए प्रदर्श के रूप में मृत नाबालिग के खून का घटना स्थल से लिए गए सैंपल और पीडि़ता के बॉडी से लिए गए सैंपल में जांचोपरांत समानता पाई गई थी। इसके अलावा मृतका के कपड़े और आरोपी के कपड़े से लिए गए सीमेन के सैंपल में भी समानता पाई गई थी। पुलिस ने पीडि़ता के नाबालिग साबित करने के लिए प्रमाण के तौर पर विद्यालय से जन्म प्रमाण पत्र भी उपलब्ध करते हुए कांड कोर्ट में समर्पित किया था।

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