गया के चर्चित डॉक्‍टर की कोरोनावायरस ने ली जान, पटना के निजी अस्‍पताल में ली अंतिम सांस

गया में निजी अस्‍पताल चलाने वाले बेतिया में मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. धर्मेंद्र प्रसाद की मौत कोरोनावायरस से हो गई। वे 15 दिनों से पटना के एक निजी अस्‍पताल में इलाजरत थे। वहां बुधवार को अंतिम सांस ली।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 08:26 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 08:26 PM (IST)
गया के चर्चित डॉक्‍टर की कोरोनावायरस ने ली जान, पटना के निजी अस्‍पताल में ली अंतिम सांस
कोरोनावायरस से गया के चिकित्‍सक की मौत। फाइल फोटो

गया, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी की दूसरी लहर की चपेट में गया के एक चिकित्सक आ गए। शहर के जाने-माने चिकित्सक निजी अस्पताल अपोलो के संचालक डॉ. धर्मेंद्र प्रसाद (52) का निधन बुधवार को पटना में हो गया। डॉ धर्मेंद्र प्रसाद वर्तमान में बेतिया मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर (Associate Professor) के पद पर कार्यरत थे। इनके निधन की खबर सुनकर शोक की लहर दौड़ गई। गौरतलब है कि कोरोना से हर दिन जिले में मौतें हो रही हैं। बड़ी संख्‍या में लोग कोरोना की चपेट में आ रहे हैं।

15 दिनों से पटना में चल रहा था इलाज 

पारिवारिक सूत्रों के अनुसार वे कोरोना संक्रमित हो गए थे। पिछले 15 दिनों से पटना के निजी अस्पताल में भर्ती थे। वहां बुधवार को अंतिम सांस ली। उनका पार्थिव शरीर बुधवार की शाम को गया लाया गया। यहां अंतिम संस्कार किया गया। बताया गया कि गया शहर के नूतन नगर में उनका आवास है। पाराडाइज सिनेमा घर के पास कई वर्षों से उनका निजी अस्‍पताल संचा‍लि‍त है। उनके निधन पर भाजपा जिला महामंत्री प्रशांत कुमार ने कहा कि डॉ धर्मेंद्र प्रसाद के निधन से गया जिला को चिकित्सा के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है, जिसकी भरपाई करना असंभव है।

कोरोना संक्रमित महिला की मौत पर हंगामा 

टिकारी के अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती एक 50 वर्षीय कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत बुधवार को हो गई। जबकि दोपहर बाद एक अन्य भोरी गांव 65 वर्षीय वृद्ध महिला ने दम तोड़ दिया। बताया जाता है कि महिला को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उसकी नाजुक हालत को देखते हुए रेफर कर दिया गया। लेकिन मरीज के स्वजन मेडिकल ले जाने के बजाय अस्पताल में ही इलाज का दबाव बनाते हुए चिकित्सक और नर्स से उलझ गए। इसी बीच वृद्ध महिला दम तोड़ दिया। इसके बाद उसके स्वजन चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। स्थिति बिगड़ते देख अस्पताल प्रशासन को पुलिस बुलानी पड़ी। जिसके बाद थानाध्यक्ष राहुल रंजन दलबल के साथ अस्पताल पहुंचे उसके बाद मामला शांत हुआ और शव को लेकर अपने गांव लौट गए।  

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