गया के हसनपुर गांव का हाल: बरसात के मौसम में कच्ची सड़क पर घुटने भर कीचड़ में चलने की मजबूरी
बिहार के गया जिले के हसनपुर गांव के लोगों को आज तक पक्की सड़क नहीं मिली है। हर साल बरसात में यहां की जिंदगी नरक हो जाती है। हल्की बारिश में भी कच्ची सड़क पर घुटने भर कीचड़ में चलना मजबूरी बन जाती है।
गया, जागरण संवाददाता। गया जिले के बेलागंज प्रखंड का एक गांव है- हसनपुर प्रखंड मुख्यालय से मात्र एक किलोमीटर पर अवस्थित हसनपुर गांव के लोगों को आजादी के 73 साल गुजर जाने के बाद भी पक्की सड़क नहीं मिल सकी है। यहां हल्की बारिश में भी लोग घुटने भर कीचड़ में चलने को मजबूर हो जाते हैं।
केंद्र या प्रदेश सरकार की योजनाओं के तहत घोषणाएं होती रहीं हैं कि पांच सौ की आबादी वाले गांवों को बरसाती सड़क से जोड़ा जायेगा, लेकिन ये चुनावी घोषणा के समान हो गयी है। ऐसा नही है कि इस गांव की स्थिति से स्थानीय जनप्रतिनिधि या अधिकारी वाकिफ नही हैं। फिर भी समस्या का निदान अभी तक नहीं हो सका है।
बेला-चंदौती रोड इस गांव से महज 500 मीटर दूर से गुजरती है। यह गांव गया-पटना रेलखंड के बेला स्टेशन से 50 मीटर तथा बेलागंज प्रखंड मुख्यालय से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर है। मगर गांव से मुख्य सड़क तक कोई सम्पर्क पथ नहीं होने के कारण यह पिछड़ेपन का शिकार है।
गांव वालों ने बताया कि प्रशासन की अनदेखी और जनप्रतिनिधियों की असंवेदनशीलता के कारण दो सौ घरों का गांव आज भी पिछड़ेपन का दंश झेल रहा है। महिलाओं, बुजुर्गों-बच्चों और बीमार लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पीढ़ियां गुजर गईं, सरकारें बदलती रहीं, दर्जनों अफसर आए और गए, मगर सवाल बरकरार है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा भाजपा के न्याय के साथ विकास का नारा भी यहां आकर दम तोड़ देता है।
ग्रामीण स्थानीय जनप्रतिनिधि से काफी नाराज हैं। वे बताते हैं कि स्थानीय विधायक लगातार 30 साल से इस क्षेत्र के प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनसे अनेक बार उक्त सड़क के लिये मिले। इसके अलावा अन्य जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के समक्ष भी मांग रखी। पर अभी तक किसी स्तर से समस्या के समाधान की कोई कारगर पहल नही की गई है।